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    पांच फरवरी को बसंत पंचमी, इन आसान उपायों से प्रसन्न होगी विद्या की देवी, दरिद्रता भी होगी दूर

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Fri, 04 Feb 2022 08:48 PM (IST)

    Basant Panchami 2022 बसंत पंचमी 5 फरवरी शनिवार के दिन पड़ रही है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मां को इस दिन पीले रंग के वस्त्र पीले पुष्प गुलाल अक्षत धूप दीप गंध आदि अर्पित किए जाते हैं।

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    मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देता मूर्तिकार ( फोटो जागरण)।

    गोविन्द नाथ शर्मा, झरिया। Basant Panchami 2022 बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (Magh Month Panchami) को मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी (Basant Panchami 2022) 5 फरवरी, शनिवार के दिन पड़ रही है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। मां को इस दिन पीले रंग के वस्त्र, पीले पुष्प, गुलाल, अक्षत, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती कमल पर विराजमान होकर हाथ में वीणा लेकर और पुस्तक धारण करके प्रकट हुई थीं। झरिया कोयलांचल में विद्या दायिनी मां सरस्वती की पूजा को लेकर विद्यार्थियों में काफी उत्साह है। स्कूल कॉलेज, सार्वजनिक स्थानों और घरों में मां सरस्वती की प्रतिमा व मूर्ति स्थापित कर पूजा करने की तैयारी में विद्यार्थी जुटे हैं। जगह-जगह पूजा के लिए पंडाल भी बनाए जा रहे हैं।

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    मां की प्रतिमा को मूर्तिकारों ने दिया अंतिम रूप

    शनिवार को बंसत पंचमी है। इससे एक दिन पूर्व शुक्रवार को मूर्तिकार भी मां की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हैं। शहर के फुलारीबाग, भागा, फुसबंगला, डिगवाडीह, पाथरडीह आदि इलाकों में मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लगे हैं। इन जगहों पर विद्यार्थियों की मां सरस्वती की प्रतिमा लेने के लिए भीड़ लगी है। शनिवार को वसंत पंचमी के अवसर पर विद्यार्थी मां की पूजा भक्ति भाव से करेंगे।

    रात से सुबह तक ले जाएंगे मां सरस्वती की प्रतिमाएं

    झरिया शहर के फुलारीबाग मोहल्ले में चार जगहों पर मूर्तिकार मां सरस्वती की बड़ी प्रतिमा को अंतिम रूप देने में लीन हैं। जबकि छोटी-छोटी मूर्तियां बनकर तैयार हैं। फुलारीबाग निवासी प्रसिद्ध मूर्तिकार किसुन पंडित के पुत्र युवा मूर्तिकार रवि पंडित भी तन्मयता से मूर्ति को अंतिम रूप देने में लगे हैं। रवि ने कहा कि छोटे-बड़े एक सौ से अधिक मूर्तियां बनाई गई हैं। यह मूर्तियां भागा माइनिंग स्कूल के अलावा कई कॉलेजों और स्कूलों के हैं। रात से सुबह तक इन मूर्तियों को ले जाया जाएगा। शाम से ही मूर्ति व प्रतिमा को लेने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आने लगेंगे। ठेला, रिक्शा, चार पहिया वाहन में मूर्ति और प्रतिमा को ले जाएंगे।

    कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकला का व्यवसाय हुआ प्रभावित

    फुलारीबाग निवासी 25 वर्षीय युवा मूर्तिकार रवि पंडित ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण मूर्तिकला का व्यवसाय प्रभावित हुआ है। दो वर्षों तक तो पूजा सादगी से हुई। इस वर्ष छूट मिली है। लेकिन महंगाई के कारण मूर्तियों के दाम बढ़े हैं। दूसरी और लोग कम कीमत पर ही मूर्ति लेने आ रहे हैं। कोरोना काल में हर तरह के व्यवसाय के ठप हो जाने के कारण ऐसा हो रहा है। हम लोगों को प्रतिमा का उचित दाम नहीं मिल रहा है। बांस, मिट्टी, कपड़े आदि सामानों के दाम काफी बढ़ गए हैं। एक माह से मूर्ति बनाने में परिवार के कई लोग लगे हैं। हम कलाकारों को उचित सम्मान तो दूर उचित मेहनताना भी नहीं मिल पाता है। झरिया के लगभग हर मूर्तिकार का यही हाल है।

    एक सौ से लेकर 25 हजार तक की बनी हैं मूर्तियां

    फुलारीबाग के मूर्तिकारों ने कहा कि मां सरस्वती की सबसे छोटी प्रतिमा एक सौ रुपए में बेची जा रही है। वहीं पांच सौ, एक हजार, पांच हजार, 10 हजार, 20 हजार और 25 हजार तक की मूर्तियां, प्रतिमाएं इस वर्ष बनाई गई हैं। पहले की अपेक्षा इस वर्ष कम मूर्तियां बनाई गई हैं। कुछ मूर्तियां ऑर्डर के तो अधिकांश छोटी मूर्तियां बेचने के लिए बनाई गई हैं। शनिवार की सुबह तक मूर्तियां व प्रतिमाएं यहां से चली जायेंगी। रवि ने कहा कि सरकार को मूर्तिकला से जुड़े लोगों के विकास पर ध्यान देना चाहिए।

    सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त

    वसंत पंचमी 5 फरवरी के दिन मनाई जाएगी। पंचाग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पंचमी की 05 फरवरी सुबह 03 बजकर 47 मिनट से शुरू हो कर 06 फरवरी प्रात: 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन पीले वस्त्र पहन कर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का उद्भव हुआ था, इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा का विधान है। इस दिन देश के कई हिस्सों में पंतग भी उड़ाई जाती है। 

    विद्या की देवी के अनेक नाम: देवी सरस्वती को अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी आदि. बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र को ज्यादा महत्व दी जाती है क्योंकि कहा जाता है कि मां सरस्वती का पसंदीदा रंग पीला है। वसंत पंचमी के दिन आप सरस्वती वंदना से पूजा कर सकते हैं।  इसके अलावा माता सरस्वती के मूल मंत्र या संपूर्ण मंत्र से भी पूजा कर सकते हैं।

    माता सरस्वती को प्रसन्न करने मंत्र

    मूल मंत्र: ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः

    संपूर्ण मंत्र: ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः

    विघ्न-बाधाओं का नाश करने वाला मंत्र

    ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी।

    मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।

            सरस्वती वंदना

    • या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
    • या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
    • या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
    • सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
    • शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं,
    • वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
    • हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌,
    • वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

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