'वनवास' हुआ खत्म, श्रीराम की तरह संभालेंगे 'सिंहासन', रागिनी सिंह की आंखों में खुशी के आंसू
आठ साल से जेल में बंद पूर्व विधायक संजीव सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर झरिया में खुशी का माहौल है। पत्नी और विधायक रागिनी सिंह ने इसे अपने लिए आठ साल का वनवास बताया और कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। वह अपने पति के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं और उनके इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरत रही हैं।

सुमित राज अरोड़ा, झरिया। अपने चचेरे भाई नीरज सिंह और उनके चार साथियों की हत्या के मामले में आठ साल से जेल में बंद पूर्व विधायक संजीव सिंह को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर झरिया सहित आसपास के इलाके में कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। वहीं, संजीव की एक झलक देखकर झरिया की विधायक और उनकी पत्नी रागिनी सिंह की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। कोयलांचल से दिनभर अपने नेता को देखने कार्यकर्ता रांची पहुंचते रहे।
वनवास हुआ खत्म, अब होगा बेहतर इलाज
आठ साल के वनवास के बाद संजीव सिंह को हर पल अपनी पत्नी के साथ देखा जा रहा है। इस दौरान संजीव सिंह के स्वास्थ्य को लेकर रागिनी काफी चिंतित हैं और उनके बेहतर इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरत रही हैं। रागिनी सिंह ने कहा कि आठ साल का वनवास काट कर वह आज हम लोगों के बीच आ गए हैं। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था, और इसी भरोसे की वजह से आज संजीव सिंह आम लोगों के बीच हैं।
संजीव सिंह भी संभालेंगे सिंहासन
रागिनी सिंह ने कहा कि वह हर पल भगवान से यही मन्नत करती रहती थीं कि उनके पति हम लोगों के बीच आ जाएं। आज उनकी मन्नत और पूजा का ही फल है कि संजीव सिंह दोबारा हम लोगों के बीच आ गए हैं। रागिनी सिंह ने यह भी कहा कि जिस प्रकार श्री राम वनवास के बाद अपने राज्य पहुंचकर अपना सिंहासन संभाले थे, उसी प्रकार आठ साल के वनवास के बाद संजीव सिंह भी अपना सिंहासन संभालेंगे और वह उनके आदेश का पालन करेंगी। फिलहाल, संजीव सिंह रांची में रहकर अपना इलाज करा रहे हैं।
बच्चों के लिए बड़ी खुशी
रागिनी और संजीव के तीन बच्चे हैं, दो बेटियां और एक बेटा। बच्चों के छोटे होने पर ही अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या के मामले में संजीव सिंह जेल चले गए थे। समय के साथ बच्चे बड़े हो गए हैं। अपने पिता की जमानत पर बड़ी बेटी शताक्षी सिंह के साथ-साथ बेटे और छोटी बेटी में भी खुशी की लहर है।
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