Samresh Singh Demise: छात्र आंदोलन की उपज थे समरेश, उनके कहने पर दो बार झारखंड आए कलाम
बाघमारा और बोकारो के पूर्व विधायक सह झारखंड सरकार के मंत्री समरेश सिंह का आज सुबह निधन हो गया। अपने लोकप्रिय नेता को खोने का गम राज्य के हर नागरिक को है। समरेश का सफर भले समाप्त हो गया हो लेकिन उनकी जीवनी हमेशा लोगों की यादों में जिंदा रहेगी।
जागरण संवाददाता, बोकारो: बोकारो के पूर्व विधायक सह झारखंड सरकार के मंत्री समरेश सिंह का आज सुबह निधन हो गया। अपने लोकप्रिय नेता को खोने का गम राज्य के हर नागरिक को है। समरेश सिंह के जीवन का सफर आज भले समाप्त हो गया हो, लेकिन उनकी जीवनी हमेशा लोगों की यादों में जिंदा रहेगी।
जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के समय 1977 में पहली बार निर्दलीय विधायक चुने जाने के बाद से समरेश सिंह लगातार राजनीति में सक्रिय रहे। भारतीय जनता पार्टी जैसी बड़ी पार्टी को कोयलांचल क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक आधार देने में भी समरेश की बड़ी भूमिका रही है, पर खुद समरेश हमेशा सभी जाति-समुदाय के नेता रहे। अपने काम एवं आंदोलन के बल पर उनकी पहचान रही है।
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झारखंड में तकनीकी शिक्षा को देना चाहते थे बढ़ावा
समरेश सिंह हमेशा से यह मानते रहे थे कि बिना शिक्षा के प्रदेश का विकास संभव नहीं है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर रणविजय स्मारक महाविद्यालय, रणविजय स्मारक उच्च विद्यालय और विस्थापित महाविद्यालय की स्थापना उन्होंने की। उन्होंने बोकारो में पहले इंजीनियरिंग कॉलेज बोकारो इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की स्थापना के लिए काफी प्रयास किया, पर तब एकीकृत बिहार में उनके व नौकरशाही के बीच में उपजे विवाद के कारण उनके कॉलेज को मान्यता नहीं मिली।
चंदनकियारी को संपन्न बनाना चाहते थे समरेश
मूल रूप से चंदनकियारी के देउलटांड़ के रहने वाले समरेश सिंह हमेशा अपने पैतृक गांव और प्रखंड को आगे बढ़ाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कई कोशिशें भी की, पर चंदनकियारी सीट आरक्षित होने के कारण उन्हें उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला। इसके बावजूद पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को बोकारो बुलाकर चंदनकियारी का भ्रमण कराया। यहां के ग्रामीणों के आय में संवर्धन के लिए मेडिसिनल प्लांट से लेकर अन्य प्रकार की खेती की शुरुआत की। हालांकि भविष्य में सरकार के सहयोग एवं देखभाल नहीं होने की वजह से उसके बहुत बड़े परिणाम नहीं आए।
समरेश सिंह के आग्रह पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने वर्ष 2001 में बताैर वैज्ञानिक झारखंड का दौरा किया था। तब समरेश सिंह झारखंड के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री थे। समरेश सिंह ने उन्हें झारखंड तकनीकी शिक्षा परिषद का मुख्य संरक्षक बनाया था। इसके बाद वर्ष 2012 में भी समरेश सिंह के बुलावे पर डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम बोकारो पहुंचे थे।