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    Saba Ahmad Demise: एकीकृत बिहार सरकार में मंत्री रहे झारखंड के दिग्‍गज नेता डॉ. सबा अहमद का निधन

    एकीकृत बिहार में मंत्री रहे झारखंड के दिग्‍गज राजनेता डॉ. सबा अहमद का आज सुबह निधन हो गया। नई दिल्‍ली के फोर्टिस अस्‍पताल में उन्‍होंने सुबह पांच बजे आखिरी सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रहे सबा अहमद को बीते दिनों इलाज के लिए दिल्‍ली ले जाया गया था।

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar PandeyUpdated: Sat, 19 Nov 2022 08:29 AM (IST)
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    रविवार को उनका शव गिरिडीह के पचंबा स्थित उनके निवास स्‍थान पर लाया जाएगा।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: एकीकृत बिहार सरकार में मंत्री रहे झारखंड के दिग्‍गज राजनेता डॉ. सबा अहमद का आज सुबह निधन हो गया। 82 वर्षीय सबा अहमद ने नई दिल्‍ली के फोर्टिस अस्‍पताल में आज सुबह पांच बजे आखिरी सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रहे डॉक्‍टर अहमद को बीते दिनों इलाज के लिए दिल्‍ली ले जाया गया था। स्‍वजनों के अनुसार, रविवार को उनका शव गिरिडीह के पचंबा स्थित उनके निवास स्‍थान पर लाया जाएगा। यहीं शव को सुपुर्दे खाक किया जाएगा।

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    गौरतलब है कि डॉक्‍टर अहमद झारखंड-बिहार की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे। भाजपा में विलय से पहले तक वह झारखंड विकास मोर्चा की राजनीति कर रहे थे। 11 फरवरी 2020 को झाविमो के भाजपा में विलय के बाद पार्टी के केंद्रीय अध्‍यक्ष रहे डॉक्‍टर सबा अहमद ने अपने लिए नए राजनीतिक विकल्‍प तलाशने शुरू किए, पर कोरोना काल में उनकी सेहत लगातार गिरती चली गई और फिर उन्‍होंने सक्रिय राजनीति से किनारा कर लिया। उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराए जाने के बाद उनके समर्थक लगातार उनके बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य की दुआ मांग रहे थे।

    लालू और राबड़ी सरकार में मंत्री रह चुके सबा अहमद

    डॉक्‍टर सबा अहमद अविभाजित बिहार के समय पहले लालू प्रसाद यादव और फिर राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री रहे। संयुक्त बिहार में वह उच्‍च शिक्षा एवं कारा मंत्री रहे। झारखंड विधानसभा उपाध्यक्ष और कार्यकारी अध्‍यक्ष की भी कुर्सी संभाल चुके थे। उन्‍होंने अपना राजनीतिक करियर झामुमो से शुरू किया था। उनके पिता डाॅक्‍टर आइ अहमद गिरिडीह से कांग्रेस के सांसद रह चुके थे। इनके बड़े भाई डाॅ. सरफराज अहमद फिलहाल गांडेय से झामुमो विधायक हैं। वे बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। खुद सबा अहमद ने तीन बार टुंडी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। टुंडी जैसी सीट से वह राजद के टिकट पर भी चुनाव जीते थे।

    इधर, जब राजनीति के अंतिम पड़ाव में झाविमो से वह अलग हुए तो उन्‍हें कांग्रेस और राजद ने साथ जोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन तब डॉ. अहमद का कहना था कि किसी पार्टी में जाने का निर्णय बहुत ही सोच समझ कर लेना होता है। उस समय उन्‍होंने कहा था ह‍ि उनकी प्राथमिकता सूची में राजद, कांग्रेस और झामुमो भी है। लालू यादव की ओर से राजद में शामिल होने का आमंत्रण आया है तो दूसरी ओर प्रदीप यादव व बंधु तिर्की ने कांग्रेस में साथ चलने का आग्रह किया है। डॉ. अहमद ने कहा था कि वह हमेशा सेक्युलर विचारधारा की पार्टियों के साथ ही जुड़ेंगे। हालांकि इसके बाद पहले कोरोना और फिर स्‍वास्‍थ्य कारणों से डॉ. सबा अहमद किसी दल से नहीं जुड़ सके।