Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आधुनिकता की दौड़ में सामाजिक और पारिवारिक सरोकारों से दूर होती जा युवा पीढ़ी, इसी की वजह से टूट रहा समाज

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar Pandey
    Updated: Sun, 09 Oct 2022 08:27 PM (IST)

    आधुनिकता की अंधी दौड़ में युवा पीढ़ी सामाजिक सरोकाराें से दूर होती जा रही है। इसका नतीजा समाज का विखंडन और कई अन्य सामाजिक बुराइयों के दुष्प्रभाव के रूप में सामने आ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दो दिवसीय समन्वय वर्ग के दौरान वक्ताओं ने यह बातें कहीं।

    Hero Image
    मुख्य अतिथि के रूप में शांता शारदा ने कार्यक्रम को संबाेधित किया।

    जागरण संवाददाता, धनबाद: आधुनिकता की अंधी दौड़ में युवा पीढ़ी अपने सामाजिक और पारिवारिक सरोकाराें से दूर होती जा रही है। इसका नतीजा समाज का विखंडन और कई अन्य सामाजिक बुराइयों के दुष्प्रभाव के रूप में सामने आ रहा है। इन बातों की चर्चा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दो दिवसीय समन्वय वर्ग के दौरान प्रमुख वक्ताओं ने की।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शहर के हीरापुर स्थित अग्रसेन भवन में दो दिनों तक आयोजित इस समन्वय वर्ग में उत्तर झारखंड के 11 जिलों से एकत्रित आरएसएस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आपस में बेहतर समन्वय बनाकर ग्रामोत्थान सहित नगर संगठन को मजबूती देने का पाठ सीखा।

    आरएसएस के इस कार्यक्रम का उद्देश्य नगर संगठन तथा सेवावर्ती कार्यकर्ताओं के बीच आपस में बेहतर समन्वय स्थापित करने के अलावा प्रेम और विश्वास का वातावरण निर्माण करना था। इस वर्ग के माध्यम से समितियों के बीच सक्रियता बढ़ाने की महत्वकांक्षी पहल प्रारंभ की गई है। इसमें विभिन्न सत्रों के दौरान प्राथमिक शिक्षा, आरोग्य योजना, श्री हरि कथा योजना, ग्रामोत्थान योजना, ग्राम स्वराज योजना, प्रगत संच, आदर्श ग्राम योजना, स्वावलंबन, आत्मनिर्भर गांव, प्रवास इत्यादि विषयों पर चर्चा की गई।

    कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य वक्ता आरएसएस के झारखंड प्रांत कार्यवाह संजय कुमार ने कहा कि वर्तमान और आने वाली पीढ़ी दिन-प्रतिदिन अपने परिवार से दूर होती जा रही है। लोग संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। भले ही वह शिक्षित हैं, लेकिन उनके बीच वातावरण सौहार्दपूर्ण नहीं है। इसका एकमात्र कारण संस्कार की कमी होना है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को गांवों के बीच में समन्वय की जरूरत बताते हुए कहा कि हम अपने छोटे-छोटे प्रकल्पों द्वारा गांव के प्रत्येक स्तर तक समन्वय स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने कंधे से कंधे मिलाकर भारत के विश्व गुरु होने की परिकल्पना को गांव के माध्यम से ही साकार होने की बात कही।

    मुख्य अतिथि के रूप में शांता शारदा ने कार्यक्रम को संबाेधित किया। शारदा वन बंधु परिषद की पूर्वी जोन की महिला विभाग की चेयरपर्सन हैं। उन्होंने उदारता, मानवता एवं विनम्रता पूर्ण व्यवहार से की गई सेवा तथा आज के परिवेश में महिलाओं के सशक्तीकरण पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि एकल कोई संस्था नहीं, बल्कि एक दर्शन है, जो कि सीधे राष्ट्र के लिए काम करता है। उन्‍होंने कहा कि आज एकल की मशाल बहुत ही मजबूत हाथों में है, लेकिन हमें और भी मजबूत हाथों को शामिल करना है। कार्यक्रम में उषा जालान, रेखा जैन, केदार मित्तल, रवींद्र ओझा, महेंद्र अग्रवाल, केशव कुमार हरदिया और रमेश के अलावा कई अन्य लोग शामिल हुए।