नौकरी गई, आवास भी खाली करो: अनुशासनहीनता पर रेलवे का सख्त रवैया, यात्रियों की जान से खिलवाड़ पड़ा भारी!
रेलवे के मुख्य लोको निरीक्षक संजय सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। उन पर कोडरमा में मुख्य क्रू नियंत्रक रहते हुए सहायक लोको पायलटों की बुकिंग में अनियमितता और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप था। यह कार्रवाई यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ और ड्यूटी में लापरवाही के कारण की गई है। उन्हें रेल आवास भी खाली करने का आदेश दिया गया है।

जागरण संवाददाता, धनबाद। अनियमितता, सुरक्षा और संरक्षा में लापरवाही तथा यात्रियों की जान से खिलवाड़ मामले में दोषी पाए गए रेलवे के मुख्य लोको निरीक्षक-सीएलआइ संजय सिंह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। धनबाद रेल मंडल के वरीय मंडल विद्युत अभियंता आपरेशन ने 20 अगस्त को इससे जुड़ा आदेश जारी कर दिया है। सीएलआइ धनबाद मंडल के टोरी में सेवारत थे।
क्या है रेल प्रशासन का आदेश
रेल प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अनुशासन एवं अपील की जांच से संबंधित संपूर्ण केस फाइल का अवलोकन एवं निष्कर्ष पर विचार कर यह पाया गया कि सीएलआइ उन पर लगे आरोपों के दोषी हैं। मुख्य क्रू नियंत्रक कोडरमा के रूप में कार्य करने के दौरान कोडरमा में कार्यरत सहायक लोको पायलटों के बुकिंग में अनियमितता बरती गईं।
विगत 26 फरवरी को कोडरमा के लोको पायलट रंजन कुमार को सलाह दिया कि वह अपना साइन ऑन ड्यूटी अन्य व्यक्ति से करा लें। रंजन ने स्वयं साइन ऑन ड्यूटी करने के बदले दूसरे से कराया जो नियम विरूद्ध है। यह कृत्य रेल कार्य के प्रति संरक्षा एवं सुरक्षा की दृष्टिकोण से संपूर्ण लापरवाही को दर्शाता है।
ड्यूटी में लापरवाही के कारण अनुशासनिक कार्रवाई के तौर पर रेल सेवा से बर्खास्त किया जाता है जो तत्काल प्रभाव से प्रभावी है।
45 दिनों के अंदर कर सकते हैं अपील
बर्खास्त किए गए सीएलआइ से कहा गया है कि रेल आवास खाली कर रेल प्रशासन को यथाशीघ्र सौंप दें। यदि 20 सितंबर तक आवास खाली नहीं किया जाता है तो रेल आवास के अनाधिकृत उपयोग व कब्जे के लिए रेल प्रशासन के प्रति उत्तरदायी होंगे।
यदि कार्रवाई के विरुद्ध अपील करना चाहते हैं तो 45 दिनों के अंदर अपीलीय प्राधिकारी को उचित माध्यम से अपील कर सकते हैं।
क्या है 'साइन ऑन ड्यूटी' और क्यों है इतना महत्वपूर्ण?
रेलवे में 'साइन ऑन ड्यूटी' सिर्फ एक उपस्थिति दर्ज कराने की औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा का पहला और सबसे अहम कदम है। जब कोई लोको पायलट (ट्रेन चालक) अपनी ड्यूटी शुरू करता है, तो उसे एक रजिस्टर में हस्ताक्षर करना होता है, जिसे 'साइन ऑन' कहते हैं।
- सुरक्षा की गारंटी: इस प्रक्रिया के दौरान, ड्यूटी पर तैनात अधिकारी यह सुनिश्चित करता है कि लोको पायलट शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट है। क्या वह बीमार तो नहीं है? क्या उसने किसी मादक पदार्थ का सेवन तो नहीं किया? ये सभी जांचें यात्रियों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी हैं।
- नियमों का उल्लंघन: किसी और से 'साइन ऑन' कराना सीधे तौर पर इस सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है। इसका मतलब यह है कि रेलवे इस बात की गारंटी नहीं ले रहा है कि ट्रेन चलाने वाला व्यक्ति पूरी तरह से चौकस और सक्षम है।
- जीरो टॉलरेंस पॉलिसी: रेलवे यात्रियों की जान के साथ किसी भी तरह के खिलवाड़ पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है। यही कारण है कि इस तरह की लापरवाही पर बर्खास्तगी जैसी सख्त कार्रवाई की गई है, ताकि दूसरे कर्मचारियों को भी कड़ा संदेश मिले।
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