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Dhanbad: कृष्ण मदन-मोहन है, तो राधा रानी मदन-मोहन-मोहिनी है

हमें श्रीमती राधारानी से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें भगवान श्री कृष्ण जो कि हमारे परम पिता हैं उनकी सेवा में हमें सहयोगी बनाएं। यदि हमें कृष्ण का प्रेम प्राप्त करना है तो हमें राधा रानी से प्रार्थना करनी चाहिए।

By Atul SinghEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 05:38 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 05:38 PM (IST)
Dhanbad: कृष्ण मदन-मोहन है, तो राधा रानी मदन-मोहन-मोहिनी है
हमें कृष्ण का प्रेम प्राप्त करना है तो हमें राधा रानी से प्रार्थना करनी चाहिए। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

जासं, धनबादः  कृष्ण मदन-मोहन है तो राधा रानी मदन-मोहन-मोहिनी हैं। वह कृष्ण के हृदय को भी आकर्षित कर लेतीं हैं। यदि हमें उनसे कोई प्रार्थना करनी चाहिए तो हमें हमेशा हरे कृष्ण महामंत्र के जप के माध्यम से प्रार्थना करनी चाहिए। इस प्रकार की कथा राधाष्टमी पर इस्कान धनबाद धैया स्थित चंचनी कालोनी स्थित श्री मां अपार्टमेंट में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत अत्यंत आनंददायक कीर्तन से हुई। राधे जय-जय माधव दयिते..." इस प्रकार के सुमधुर कीर्तन से वातावरण सुशोभित हो गया। 

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उसके बाद इस्कान धनबाद के उपाध्यक्ष दामोदर गोविंद दास ने राधा अष्टमी के महत्व का व्याख्यान करते हुए बताया कि कि यह दिन श्रीमती राधा रानी के आविर्भाव का दिवस है। श्रीमती राधारानी भगवान श्री कृष्ण के हमेशा संगिनी है। वह समस्त अखिल ब्रह्माण्डों की माता है। वह प्रेम और दोस्ती की प्रतिमूर्ति हैं। उसके बाद इस्कान धनबाद के अध्यक्ष प्रेमदास ने राधा अष्टमी के विषय में व्याख्यान करते हुए बताया कि राधा अष्टमी हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन हमें श्रीमती राधारानी से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वह हमें भगवान श्री कृष्ण जो कि हमारे परम पिता हैं, उनकी सेवा में हमें सहयोगी बनाएं। यदि हमें कृष्ण का प्रेम प्राप्त करना है तो हमें राधा रानी से प्रार्थना करनी चाहिए। क्योंकि वह अत्यंत दयालु एवं करुणामयी है। वह भगवान कृष्ण की भक्ति सरलता से दिला सकती हैं। राधा और कृष्ण एक दूसरे से अभिन्न है। दोनों को हम अलग-अलग नहीं देख सकते हैं, इसलिए हमें किसी भी स्थान पर दोनों के युगल विग्रह दृश्यमान होते हैं। इस प्रकार कार्यक्रम में भगवान के सुंदर युगल विग्रह का पुष्प अभिषेक किया गया। जिसमें भिन्न-भिन्न प्रकार के फूलों से भगवान का अभिषेक किया गया और भक्तों ने अत्यंत आनंददायक कीर्तन पर झूम कर आनंद में नृत्य किए। इसके बाद भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया।


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