लोकसभा में कुड़मी को आदिवासी बनाने की उठी आवाज, पुरुलिया सांसद ने 1931 के गजट का दिया हवाला
लोकसभा में ज्योतिर्मय महतो ने कहा कि 2 मई 1913 को तत्कालीन सरकार के गजट नोटिफिकेशन संख्या 550 में कुड़मी का अनुसूचित जनजाति के नाते उल्लेख किया गया था। 1931 में भी गजट नोटिफिकेशन में कुड़मी को आदिवासी माना गया।
बोकारो, जेएनएन। झारखंड के कुड़मी (कुरमी) अनुसूचित जनजाति का दर्जा हासिल करने के लिए काफी लंबे समय से आंदोलनरत हैं। अब यह मुद्दा लोकसभा में भी उठा है। पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के भाजपा सांसद ज्योतिर्मय महतो ने कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने के लिए लोकसभा में आवाज उठाई है। कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए पुरुलिया सांसद ने 1931 के भारत सरकार के गजट का हवाला दिया है। तर्क दिया है कि उस गजट में कुड़मी समेत 13 को जनजाति सूची में रखा गया है। आजादी के बाद कुड़मी को अकारण जनजाति की सूची से बाहर कर दिया गया। यह अनुचित है।
पहले अनुसूचित जनजाति में शामिल थे कुड़मी
लोकसभा में ज्योतिर्मय महतो ने कहा कि 2 मई 1913 को तत्कालीन सरकार के गजट नोटिफिकेशन संख्या 550 में कुड़मी का अनुसूचित जनजाति के नाते उल्लेख किया गया था। 1931 में भी गजट नोटिफिकेशन में कुड़मी को आदिवासी माना गया। आजादी के बाद 6 सितंबर 1950 को अनुसूचित जनजाति की सूची दोबारा तैयार की जा रही थी तो कुड़मी को बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं उड़ीसा में कुड़मी की बड़ी आबादी रहती है। यहां के कुड़मी चाहते हैं कि उन्हें पहले की तरह आदिवासी का दर्जा मिले। कारण कि रहन सहन, खान पान, संस्कृति, जीवन शैली, पूजा पाठ का तरीका समान है।
लंबोदर ने भी विधानसभा में कार्य स्थगन का रखा प्रस्ताव
गोमिया के आजसू विधायक लंबोदर महतो ने भी कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए झारखंड विधानसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया है।