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    UDAAN scheme: परियोजना ने लगाए पंख, उड़ान भरने लगीं पहाड़िया महिलाएं

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Mon, 05 Jul 2021 01:13 PM (IST)

    उड़ान परियोजना से तुलसी पहाडिय़ा के जीवन में भी बदलाव आया है। वह अमड़ापाड़ा प्रखंड के छोटा बासको पहाड़ गांव की रहने वाली है। तुलसी तिलका मांझी आजीविका सखी मंडल से जुड़ी हुई हैं। इस परियोजना के तहत गुटू गलांग कल्याण ट्रस्ट से पांच किलोग्राम बरबटी का बीज मिला।

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    अपनी दुकान में देवी देहरी ( फोटो जागरण)।

    रोहित कुमार, पाकुड़। पाकुड़ जिले का अमड़ापाड़ा प्रखंड। पहाड़ों पर रहने वाली देवी देहरी और उसका परिवार जनजातीय क्षेत्र में कल्याण और संरक्षण के लिए चलाई जा रही योजना से मिलने वाले सरकारी अनाज पर आश्रित था। जीवन में सुख सुविधाओं का घोर अभाव था। कभी कभार जंगल से लकड़ी काटकर शहरों में बेचने से कुछ आय हो जाती थी। अब उड़ान परियोजना ने दीदी देहरी की जिंदगी बदल दी है। सखी मंडल से ऋण लेकर दीदी ने वनोत्पाद की खरीद-बिक्री का कारोबार शुरू किया है। उसने अपने घर में किराने की दुकान भी खोल ली है। उन्हें अब 500 से 1000 रुपये प्रतिदिन की आय हो जाती है। तुलसी ने भी कुछ इसी तरह अपनी जिंदगी संवारी है। ये दोनों महिलाएं बानगी हैैं। जिले में ऐसी 150 महिलाएं हैं, जिनकी किस्मत उड़ान परियोजना ने बदल दी है। पाकुड़ जिले में 12600 आदिम जनजाति पहाडिय़ा परिवार हैं।

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    यूं बदला देवी का जीवन

    देवी देहरी का पति रुपई देहरी बेरोजगार था। वर्ष 2019 देवी के लिए सफलता भरा रहा। इस साल उड़ान परियोजना में पति को चेंज मेकर का काम मिल गया। गांव में हो रहे बदलाव के नेतृत्व की जिम्मेदारी दी गई। इस दायित्व के लिए तीन हजार रुपया प्रतिमाह मिलने लगा। अक्टूबर में देवी ने स्वयं सहायता समूह बिरसा आजीविका सखी मंडल से 12 हजार रुपये का ऋण लिया। खुद के 10 हजार रुपये मिलाकर दुकान खोल ली। यह दुकान किराए पर है। इसमें अन्य सामग्री के अलावा महुआ और पहाड़ी बरबटी (सब्जी) बेचने लगी। देवी कहती हैं- सीजन में औसतन एक हजार रुपये आय हो जाती है। आम दिनों में 500 से 600 रुपये। अब अपनी बेटियों को निजी विद्यालय में पढ़ा रही है।

    तुलसी के जीवन में उजाला

    उड़ान परियोजना से तुलसी पहाडिय़ा के जीवन में भी बदलाव आया है। वह अमड़ापाड़ा प्रखंड के छोटा बासको पहाड़ गांव की रहने वाली है। तुलसी तिलका मांझी आजीविका सखी मंडल से जुड़ी हुई हैं। इस परियोजना के तहत गुटू गलांग कल्याण ट्रस्ट से पांच किलोग्राम बरबटी का बीज मिला। 10 किलोग्राम बरबटी बीज का और जुगाड़ किया और खेती की। उसने चेंज मेकर धर्मेंद्र पहाडिय़ा की मदद से 190 किलोग्राम बरबटी का उत्पादन किया। फायदा हुआ अब दूसरा कारोबार शुरू किया।

    क्या है उड़ान परियोजना

    यह केंद्र व राज्य सरकार के जरिए संयुक्त रूप से संचालित है। इस पर केंद्र 60 फीसद व राज्य 40 फीसद राशि खर्च करती है। केंद्र के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विशिष्ट पहाडिय़ा जनजाति के जीवन में बदलाव लाने व आर्थिक उत्थान के लिए 2019 में शुरू की गई। पहाडिय़ा परिवार को पेंशन, आवास सहित स्वरोजगार से जोडऩे की योजना है और राज्य के 11 पहाडिय़ा बहुल अंचल में संचालित है।

    उड़ान परियोजना से जिले के सभी पहाडिय़ा परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। इस दिशा में बड़े पैमाने पर काम चल रहा है। बड़ी संख्या में पहाडिय़ा परिवार लाभान्वित हुआ है।

    -कुलदीप चौधरी, उपायुक्त, पाकुड़ (झारखंड)