पौधे लगाना व पर्यावरण को बचाना ही रंजीत का लक्ष्य
पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण मुक्त कोयलांचल बनाने की मुहिम के साथ एक लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं गोपालीचक के रहने वाले वाले रंजीत कुमार सिंह। ग्रामीण एकता मंच के संरक्षक सह आरटीआइ कार्यकर्ता रंजीत कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह को पौधे लगाने और उन्हें बचाने का जैसे जुनून सवार है।
तापस पालित, पुटकी : पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण मुक्त कोयलांचल बनाने की मुहिम के साथ एक लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं गोपालीचक के रहने वाले वाले रंजीत कुमार सिंह। ग्रामीण एकता मंच के संरक्षक सह आरटीआइ कार्यकर्ता रंजीत कुमार सिंह उर्फ बबलू सिंह को पौधे लगाने और उन्हें बचाने का जैसे जुनून सवार है। सिंह की ये लड़ाई शुरू होती है, वर्ष 2007-08 से जब बीसीसीएल की ओर से कोलियरी क्षेत्र में उत्खनन के लिए 75 हजार पेड़ काट दिए जाते हैं। इसके बाद उन्होंने आरटीआइ के माध्यम से बीसीसीएल, वन विभाग और सरकार से इससे संबंधित जानकारी जुटाने लगे। इनके जवाबों से संतुष्ट नहीं होने पर वर्ष 2008 में रांची उच्च न्यायालय में पीएआइएल दर्ज कराया। इसके बाद बीसीसीएल ने लगातार कोर्ट को पेड़ों की कटाई वाले क्षेत्र को अग्नि प्रभावित क्षेत्र बताया। अंतत: सत्य की जीत हुई और 2011 में कोर्ट ने बीसीसीएल को फटकार लगाते हुए देहरादून के वैज्ञानिकों की टीम को क्षेत्र का निरीक्षण के लिए भेजा और रिपोर्ट समर्पित करने को कहा। लंबी लड़ाई के बाद वर्ष 2011 में रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया और बीसीसीएल को 134 हेक्टयर जमीन पर पेड़ लगाने का आदेश दिया। स्वयं भी लगाए कई पेड़ :
रंजीत सिंह बताते हैं कि उन्होंने स्वयं भी 20 पेड़ लगाए हैं। सभी 20 पेड़ों को वे स्वयं सींचते हैं। एक वृक्ष के संरक्षण में वे करीब दो हजार रुपये खर्च करते हैं। इसमें लोहे की जाली, लकड़ी की जाली, और ईटों के घेरों से इसको बचाया जाता हैं। इसके साथ ही वे प्रत्येक दिन पानी डालते हैं। उनका 10 वर्षीय पुत्र भगत सिंह भी लगातार दो वर्षो से अपना जन्मदिन केक काटकर व पार्टी मनाकर नहीं बल्कि पौधे लगाकर मनाता है। आम लोगों को संदेश :
लोग जिस प्रकार अपने बच्चों को प्यार और दुलार से पालते हैं, ठीक उसी तरह पौधे लगाए और अपने परिवार का हिस्सा समझ उसकी परवरिश करें। उसकी सेवा करें क्योंकि पौधे हैं तो पर्यावरण है। इस कोरोना काल में लोगों ने पर्यावरण और ऑक्सीजन की कीमत को अच्छी तरह से समझा है, देखना उसकी रखवाली के लिए अब क्या करते हैं।