Udhwa Bird Sanctuary: दशक बाद लौटा अद्भुत परिंदा, पक्षी प्रेमियों में जश्न जैसा माहौल
Rare migratory bird Pallas Gull: झारखंड के धनबाद स्थित उधवा पक्षी अभयारण्य में एक दशक बाद एक अद्भुत परिंदा वापस लौटा है। इस घटना से पक्षी प्रेमियों मे ...और पढ़ें

साल 2015 के बाद पहली बार उधवा पक्षी आश्रयणी में देखा गया पलास गल। (फोटो सौजन्य)
जागरण संवाददाता, साहिबगंज। Rare migratory bird Pallas Gull: उधवा पक्षी आश्रयणी से पक्षी-प्रेमियों के लिए उत्साहजनक खबर आई है। यहां दुर्लभ प्रवासी पक्षी पलास गल को देखा गया है। इस प्रजाति की पक्षी को 2015 में देखा गया था।
उधवा में एक दशक बाद पलास गल को देखा गया है। इसे उधवा झील की जैव विविधता के लिए सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। यह प्रजाति दक्षिणी रूस से मंगोलिया तक दलदलों और द्वीपों में कालोनियों में प्रजनन करती है।
यह प्रवासी पक्षी है जो सर्दियों में पूर्वी भूमध्य सागर, अरब और भारत में निवास करता है। यह गल जमीन पर घोंसला बनाता है और दो से चार अंडे देता है। पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार पलास गल का दिखना बताता है कि झील का पर्यावास प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित, अनुकूल और आकर्षक है।
हर साल हजारों की तादाद में विदेशी पक्षी यहां शीतकालीन प्रवास पर आते हैं, जिससे यह क्षेत्र पूर्वी भारत के महत्वपूर्ण बर्ड हाटस्पाट्स में भी शामिल है। वन विभाग द्वारा की जा रही निरंतर मानीटरिंग और संरक्षण प्रयासों से इस उपलब्धि को जोड़कर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि उधवा झील में पक्षियों के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके परिणाम स्वरूप वहां पक्षियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इस साल जनवरी में कराई गई पक्षियों की गिनती में यह संख्या 25 हजार से अधिक पायी गयी।
इसी साल उधवा झील को रामसर साइट घोषित किया गया है। यहां आने वाले प्रवासी पक्षी वन्यजीव अधिनियम के तहत संरक्षित है एवं इन्हें या इनके आवास क्षेत्र को किसी भी प्रकार की क्षति, अधिनियम के तहत संज्ञेय गैर जमानतीय अपराध है, जिसमे सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।

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