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    सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्मों का निर्देशन कर चुके पीए रंजीथ भगवान बिरसा पर बनाएंगे फिल्म

    बिरसा मुंडा ने 24-25 दिसंबर 1898 को पहले उलगुलान यानी क्रांति की घोषणा की थी। मुंडा ने भारत की आजादी और जनजातीय धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी। नौ जनवरी 1899 को उनके नेतृत्व में सयिलरकब खूंटी के पहाड़ों पर अंग्रेज़ों के साथ लड़ाई हुई थी।

    By MritunjayEdited By: Updated: Sat, 05 Mar 2022 09:58 AM (IST)
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    झारखंड के नायक बिरसा मुंडा ( फाइल फोटो)।

    जागरण संवाददाता, धनबाद। भगवान बिरसा मुंडा के व्यक्तित्व और कृतत्व ने हर किसी को आकर्षित किया है। इनके जीवन के संघर्षों को डाक्यूमेंट्री, फिल्म और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के फीचर फिल्म के जरिए दिखाने का प्रयास गाहे-बगाहे होता रहा है। अब दक्षिण के फिल्मकार भी भगवान बिरसा मुंडा से प्रभावित हुए हैं। यही कारण है कि तमिल फिल्म इंडस्ट्री के बड़े निर्देशकों में शुमार पीए रंजीथ हिंदी फिल्मों में डेब्यू भी भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी पर फिल्म बनाकर कर रहे हैं। पीए रंजीथ सुपरस्टार रजनीकांत स्टारर कबाली और काला का निर्देशन कर चुके हैं। उन्होंने चर्चित फिल्म सरपत्ता परंबराई का भी निर्देशन किया है। भगवान बिरसा मुंडा पर बनने वाली हिंदी फिल्म का टाइटल 'बिरसा' रखा गया है। इसके निर्माताओं में शीरीन मंत्री और किशोर अरोड़ा शामिल हैं। नमह पिक्चर्स के बैनर तले फिल्म का निर्माण होगा। प्रसिद्ध मूवी क्रिटिक तरन आदर्श ने अपने ट्विटर हैंडल पर यह जानकारी साझा की है। इस पर धनबाद के शख्स ने ट्वीट किया है कि हर बार जब भी स्टेशन जाता तो बिरसा मुंडा की प्रतिमा को पार करता। उनके बारे में ज्यादा नहीं जानता था। अब खुशी हो रही है कि सर्वश्रेष्ठ भारतीय फिल्म निर्माताओं में से एक ऐसी कहानी कहने जा रहे हैं, जो बताए जाने योग्य है।

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    उलगुलान के जनक थे भगवान बिरसा मुंडा

    बिरसा मुंडा ने 24-25 दिसंबर 1898 को पहले उलगुलान यानी क्रांति की घोषणा की थी। मुंडा ने भारत की आजादी और जनजातीय धर्म, संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी। नौ जनवरी 1899 को उनके नेतृत्व में सयिलरकब, खूंटी के पहाड़ों पर अंग्रेज़ों के साथ लड़ाई हुई थी। बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करने के लिए उस वक्त 500 रुपये का इनाम रखा गया था। लालच में वहीं के सात लोगों ने जंगल में सोते हुए बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर अंग्रेजों को सौंप दिया था। नौ जून 1900 को इनकी मौत रांची सेंट्रल जेल में अंग्रेजों के जहर देने से हुई थी। बिरसा मुंडा 25 वर्ष की आयु भी पूरी नहीं कर पाए थे।