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One Rupee Birthday: मैं धारक को रुपये अदा करने का वचन देता हूं...अकेला ऐसा नोट ज‍िसमें ये बात नहीं ल‍िखी होती

अब एक रुपये के नोट बाजार में द‍िखने बंद हो गए है। इसका स्‍थान स‍िक्‍कों ने ले ल‍िया है। बावजूद आज भी अगर कहीं हमें द‍िख जाता है लोग इसे खर्च करने के बजाय इसे सहेज कर रखना पंसद करने लगे है।

By Atul SinghEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 12:52 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 02:51 PM (IST)
One Rupee Birthday: मैं धारक को रुपये अदा करने का वचन देता हूं...अकेला ऐसा नोट ज‍िसमें ये बात नहीं ल‍िखी होती
आज भारत की सबसे छोटी इकाई यानी भारतीय मुद्रा एक रुपये का बर्थडे है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

आशीष सिंह, धनबाद: आज भारत की सबसे छोटी इकाई यानी भारतीय मुद्रा एक रुपये का बर्थडे है। कागजी मुद्रा की सबसे छोटी इकाई एक रुपये को भारत में चलन में आए 104 वर्ष हो गए। सबसे पहले 1917 में गवर्नमेंट आफ इंडिया पेपर मनी एक्ट के तहत इसे छापा गया। 1917 से 1939 तक के छापे नोट पर 1917 ही लिखा हुआ है। फिर इसे अलग डिजाइन में 1940 में छापा गया और इसके बाद 1944 में डिजाइन बदला। आजाद भारत में 1949 से इसकी शुरुआत हुई जो 1994 तक छपता रहा।

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रुपये के अवमूल्यन एवं छपाई पर पड़ने वाले खर्च के चलते 1995 से इसे बंद कर दिया गया। भले ही आम जन को न पता हो , लेकिन 2015 से दोबारा एक रुपये के कागजी मुद्रा छापे जाने लगे। ये 2020 तक छापे गए हैं। कुसुम विहार के सिक्कों एवं कागजी मुद्रा के संग्रहकर्ता अमरेंद्र बताते हैं कि उनके व्यक्तिगत संग्रह में भारत में छपे सभी कागजी मुद्राओं का संग्रह है। इस कागजी मुद्रा की जन्म शताब्दी पर प्रदर्शनी भी लगा चुके हैं। उनके टकसाल में 1917 में जारी एक रुपये का नोट भी है। बचपन से ही सिक्के और नोट कलेक्शन करने का शौक है। अब तो ऐसा करते हुए लगभग 40 साल हो गए। उनके पास एसएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर और एच डेनिंग के हस्ताक्षर से 1917 में जारी एक रुपये के नोट हैं। अमरेंद्र बताते हैं कि उनके पास 1917 से 2020 तक के एक रुपये के लगभग सभी नोट हैं। एक रुपये का नोट 15 वर्ष पहले 400 रुपये में खरीदा था। आज इसकी कीमत न्यूमिस्मैटिक मार्केट में लगभग 20 हजार रुपये है।

एक रुपये के बारे में यह भी जानें

- ब्रिटिश काल में एक रुपये के नोट 1917, 1935 और 1940 में निकले।

- 1935 के नोट में जेडब्ल्यू केली और 1940 के नोट में सीई जोंस के हस्ताक्षर थे।

- आजाद भारत में 1949 से एक रुपये के नोट निकलने का सिलसिला शुरू हुआ। इनपर पहला हस्ताक्षर केआरके मेनन का था।

- पहले नोट के सिक्के की जगह पीछे की तरफ फ्लोरल मोटिफ था। 1949 से ये नोट 1994 तक निकलते रहे।

- 1950 में जारी नोट में फ्लोरल मोटिफ की जगह एक रुपये के सिक्के ने ले लिया।

- 1994 में बंद होने के बाद 2015 से एक रुपये के नोट फिर से निकलने लगे।

- भारत में एक रुपये का पहला नोट 30 नवंबर 1917 को जारी किया गया।

- एक रुपये के नोट भारत सरकार की ओर छापे जाते हैं, जबकि अन्य सारे नोट आरबीआइ छापता है।

- एक रुपये के नोट पर वित्त सचिव का हस्ताक्षर होता है। अन्य नोट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है।

- एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी में लिखा होता है कि मैं धारक को रुपये अदा करने का वचन देता हूं।


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