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    तारक मेहता का उल्टा चश्मा.... चित्रलेखा के लेखक ने साल 2008 से हर घर में बना रखी पैठ

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Sun, 26 Dec 2021 09:31 AM (IST)

    तारक मेहता का लेखन का सफ़र 1971 में गुजराती और मराठी में निकलने वाली साप्ताहिक पत्रिका ‘चित्रलेखा’ से शुरू हुआ था। उन्होंने 80 किताबें लिखीं। मेहता की किताब पर ही आधारित है हास्य टीवी धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा। यह धारावाहिक साल 2008 से मनोरंजन कर रहा है।

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    गुजराती साहित्यकार तारक मेहता ( फाइल फोटो)।

    जागरण संवाददाता, धनबाद। लेखक, व्यंग्यकार और स्तंभकार तारक मेहता का आज जन्मदिवस है। उनका जन्म 26 दिसंबर 1929 को हुआ था। वे अपने हास्य लेखन के लिए जाने जाते हैं। यूं तो मेहता गुजराती भाषा के लेखक थे। लेकिन उनकी कृति 'चित्रलेखा' ने उन्हें जनजन का लेखक बना दिया। मेहता की किताब पर ही आधारित है हास्य टीवी धारावाहिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा'। यह धारावाहिक साल 2008 से ही घर-घर में मनोरंजन का माध्यम बना हुआ है। सीधे कहे तो तारक मेहता ने पिछले 13 साल से देश के हर घर में पैठ बना रखी है। हिंदी भाषी इलाकों में ऐसा कोई घर नहीं होगा जहां 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' देखने वाले न हों। महिलाओं और बच्चों तो इस धारावाहिक का गजब का क्रेज है। 

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    चित्रलेखा से शुरू हुआ सफर

    तारक मेहता का लेखन का सफ़र 1971 में गुजराती और मराठी में निकलने वाली साप्ताहिक पत्रिका ‘चित्रलेखा’ से शुरू हुआ था।  उन्होंने 80 किताबें लिखीं। ‘चित्रलेखा’ में वे ‘दुनिया ने ऊंधा चश्मा’ नाम से कॉलम लिखा करते थे। बाद में इसी कॉलमों को एक किताब की शक़्ल दी गई। इसी किताब पर आधारित हिंदी धारावाहिक तारक मेहता का उल्टा चश्मा साल 2008 से दर्शकों का मनोरंजन कर रहा है। 26 दिसंबर, 1929 को जन्मे तारक कई गुजराती अख़बारों के लिए लगातार लिखा करते थे। वह गुजराती साहित्य और थियेटर के क्षेत्र में भी जाना पहचाना नाम थे। उन्होंने कई नाटकों का रूपांतरण किया, कई नाटक भी लिखे। तारक मेहता को उनकी रचनात्मकता के लिए साल 2015 में पदमश्री से भी सम्मानित किया गया था। 

    हास्य की लेखनी में बनाई अलग पहचान

    श्री कच्छ गुर्जर क्षत्रिय समाज धनबाद के सदस्य किरीट चाैहान ने तारक मेहतो को कालजयी लेखक करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यूं तो मेहता मूल रूप से गुजराती और मराठी भाषा के लेखक और साहित्यकार थे। लेकिन अपनी रचनाओं की बदाैलत उन्होंने भाषा की सीमा को समाप्त कर दिया। उन्हें गुजरात और महाराष्ट्र से दूर धनबाद में भी काफी लोग पढ़ते हैं। टीवी धारावाहिक 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' तो हर में पहुंचा दिया है। उनकी हास्य की शैली का जवाब नहीं।