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अब नए नाम से जाना जाएगा District Consumer Forum, जुर्माने के साथ सजा देने का भी मिला अधिकार

संशोधित अधिनियम के दायरे में विज्ञापन कंपनियों को भी शामिल किया गया है। झूठा विज्ञापन करते पकड़े जाने पर पहली बार 10 लाख रुपये जुर्माना और दो साल की सजा तथा दोबारा पकड़े जाने पर 50 लाख जुर्माना और पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 07:33 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 07:33 AM (IST)
अब नए नाम से जाना जाएगा District Consumer Forum, जुर्माने के साथ सजा देने का भी मिला अधिकार
धनबाद जिला उपभोक्ता फोरम अब सुनवाई के बाद सजा का फैसला सुनाएगा (फाइल फोटो)।

धनबाद [ आशीष सिंह ]। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम अब जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के नाम से जाना जाएगा। इसके साथ ही इसके अधिकारों में भी इजाफा किया गया है। जिला उपभोक्ता आयोग अब एक करोड़ रुपए तक की क्षतिपूर्ति तक के प्रकरणों की सुनवाई करेगा। अभी तक 20 लाख रुपये के विवादों का निपटारा जिला स्तर पर होता आया है। इसके बाद राज्य स्तर पर अपील के लिए जाना पड़ता था। सरकार के गजट में प्रकाशन हो चुका है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। उपभोक्ता अधिकार संरक्षण कानून में संशोधन करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम को कमीशन का दर्जा मिल गया है। यह अब डिस्ट्रिक्ट कमीशन के रूप में जाना जाएगा। अभी तक जिला उपभोक्ता फोरम को सजा देने का अधिकार प्राप्त नहीं था, लेकिन नए नियम में सात वर्ष तक की सजा देने का अधिकार मिल गया है।

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झूठा विज्ञापन करते पकड़े जाने पर दस लाख रुपये जुर्माना

संशोधित अधिनियम के दायरे में विज्ञापन कंपनियों को भी शामिल किया गया है। झूठा विज्ञापन करते पकड़े जाने पर पहली बार 10 लाख रुपये जुर्माना और दो साल की सजा तथा दोबारा पकड़े जाने पर 50 लाख जुर्माना और पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है। अब नए कानून के तहत आयोग को किसी सामान की जांच की जरूरत नहीं होगी। जिला आयोग को मामले का निपटारा तीन माह में करना ही होगा। पुराने अधिनियम के हिसाब से ई-पेमेंट व ऑनलाइन खरीदी, एटीएम विवाद जैसे प्रकरणों में सुनवाई के लिए दिक्कतें आती थीं। नए अधिनियम में इस तरह के मामलों पर आसानी से निपटारा हो सकेगा।

उपभोक्ता आयोग में मामलों के निवारण का शुल्क

  • जिला आयोग

पांच लाख रुपये तक : निश्शुल्क

पांच लाख से दस लाख रुपये तक : 200 रुपये

दस से 20 लाख रुपये तक : 400 रुपये

बीस लाख से 50 लाख रुपये तक : एक हजार रुपये

पचास लाख से अधिक और एक करोड़ रुपये तक : दो हजार रुपये

  • राज्य आयोग

एक करोड़ से दो करोड़ रुपये तक : 2500 रुपये

दो से चार करोड़ रुपये तक : तीन हजार रुपये

चार से छह करोड़ रुपये तक : चार हजार रुपये

छह करोड़ से आठ करोड़ रुपये तक : पांच हजार रुपये

आठ से दस करोड़ रुपये तक : छह हजार रुपये

  • राष्ट्रीय आयोग

दस करोड़ रुपये से अधिक :  7500 रुपये

चार पद रिक्त, कौन करेगा सुनवाई

मौजूदा समय में उपभोक्ता फोरम में एक जज, दो सदस्य और रजिस्ट्रार का पद स्वीकृत है। फिलहाल सभी पद रिक्त हैं। फोरम के अध्यक्ष नित्यानंद सिंह वर्ष पहले ही रिटायर हो चुके हैं। महिला सदस्य पुष्पा सिह भी नित्यानंद सिंह के साथ 31 अक्टूबर 2018 में ही सेवानिवृत्त हो गईं। एकमात्र बचे पुरुष सदस्य नरेश प्रसाद भी पिछले वर्ष अप्रैल में सेवानिवृत्त हो गए। इस तरह देखा जाए तो जिला उपभोक्ता फोरम पूरी तरह से खाली है, सिर्फ कनीय कर्मचारी बचे हैं। यही कारण है कि ढाई वर्षों से एक भी केस की सुनवाई नहीं हो सकी है। जिले में 380 से अधिक मामले पेंडिंग हैं। 


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