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    जमीन अधिग्रहण के बदले अब नहीं मिलेगी नौकरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 07 Aug 2018 06:26 PM (IST)

    आशीष अम्बष्ठ, धनबाद : कोल इंडिया भी अन्य पब्लिक सेक्टर की तरह जमीन के बदले नौकरी देने की स्कीम

    जमीन अधिग्रहण के बदले अब नहीं मिलेगी नौकरी

    आशीष अम्बष्ठ, धनबाद : कोल इंडिया भी अन्य पब्लिक सेक्टर की तरह जमीन के बदले नौकरी देने की स्कीम को बंद करने जा रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि जमीन की कीमत पहले की तुलना में कई गुणा अधिक हो गई है। कंपनी को जमीन के अधिक दाम देने के अलावा भू स्वामी को नौकरी, मुआवजा विस्थापितन सुविधा देनी पड़ती है। इतनी सुविधा देने के बाद कोयला खनन कर जो राशि कंपनी को प्राप्त हो रही है, उससे कंपनी को करोड़ों को नुकसान हो रहा है। ऐसी बातें सर्वे रिपोर्ट आने के बाद सामने आई हैं।

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    बाधा दूर करने में जुटा प्रबंधन :

    नए प्रोजेक्ट खोलने में आ रही सबसे बड़ी बाधा जमीन की हो रही है, जिसे दूर किए जाने को लेकर ही आरएनआर पॉलिसी में संशोधन किया जा रहा है। कोयला खदान खोलने के लिए कोल इंडिया द्वारा अधिग्रहीत की गई जमीन पर अब संबंधित भू स्वामी के परिवार को नौकरी नहीं मिलेगी। अब किसान को इसके बदले बढ़ी हुई मुआवजा राशि दी जाएगी। कोल इंडिया स्तर पर इस आशय का निर्णय होने से जमीन के बदले कोयला खदानों में मिलने वाली नौकरी का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाएगा। मालूम हो कि जमीन के बदले नौकरी दिए जाने का प्रावधान कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण होने के समय से जारी है।

    समय समय पर होते रहे बदलाव :

    हालांकि सरकार के दिशा निर्देश पर नियम में कई छोटे-छोटे बदलाव हुए हैं। पहले तीन एकड़ से अधिक जमीन के अधिग्रहण पर भू स्वामी के परिवार में एक सदस्य को नौकरी के साथ निर्धारित मुआवजा राशि मिलती रही है। उसके बाद दो एकड़ जमीन वालों को भी मुआवजा के साथ नौकरी दी गई। कोल इंडिया स्तर पर हुए निर्णय का प्रभाव नई खुलने वाली भूमिगत व ओपन कॉस्ट कोयला खदान पर लागू होगा।

    कमेटी कर रही अध्ययन :

    कोल इंडिया स्तर के आरएनआर पॉलिसी में संशोधन के लिए गठित कमेटी लगातार अध्ययन करने में लगी है। कमेटी इस बात पर भी गंभीर है कि कई पब्लिक सेक्टर में जमीन के बदले नौकरी बंद हो गई है।

    रोजगारमुखी होगी पॉलिसी :

    अधिकारी सूत्रों के अनुसार जमीन के बदले रैयतों को कई तरह की सुविधाएं देने की नीति पॉलिसी में लायी जा रही है, ताकि विस्थापितों को यह परेशानी न हो कि जमीन जाने के बाद परिवार दिक्कत में पड़ जाए। कौशल विकास के साथ-साथ ग्रामीण विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वैधानिक पदों पर ट्रेनिंग के माध्यम से सीधे नियुक्ति की प्रक्रिया व परियोजना निर्माण में उनकी अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कमेटी अन्य कंपनियों की आरएनआर पॉलिसी का भी अध्ययन कर रही है।

    सौ से अधिक प्रोजेक्ट पर गतिरोध : जमीन के बदले नौकरी का मामला कोल इंडिया का विभिन्न कंपनियों में सौ से अधिक लंबित पड़े हैं। सूत्र बताते हैं कि बीसीसीएल के ही 15 प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण में नियोजन का मामला है। नए नियम आने से कंपनी को कई बड़े प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण करने में नियोजन देने से राहत मिल जाएगी। ऐसे में 11 कोल ब्लॉक का भी मामला है।

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    जमीन का दाम कई गुणा बढ़ गया है। नौकरी देने में कई तरह की अड़चनें आ रही हैं। कई कंपनियों में यह सुविधा बंद हो गई है। कंपनी विचार कर रही है कि जमीन के बदले नौकरी की जगह जमीन का उचित दाम के अलावा भू स्वामी को 60 साल की उम्र तक तय राशि का भुगतान किया जाए। वैसे पूरे मामले में कोल मंत्रालय का निर्णय अहम है। प्रस्ताव वहीं भेजा जाएगा।

    - विनय दयाल, तकनीकी निदेशक, कोल इंडिया

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