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    रंग लाई मेहनत... मिश्रित खेती से आजाद के जीवन में आई मिठास, निरसा के किसानों के लिए बना प्रेरणास्रोत

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Mon, 23 Aug 2021 02:30 PM (IST)

    आजाद अंसारी ने बताया कि मुर्गी पालन व मछली पालन के साथ-साथ 10 एकड़ जमीन पर खेती करता हूं। इस वर्ष लगभग 80 क्विंंटल धान सरकार को बेची है। मुर्गी पालन मछली पालन एवं खेती की बदौलत मेरे पूरे परिवार की परवरिश हो रही है।

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    अपने मुर्गा फार्म में खड़ा आजाद अंसारी और उसका सहयोगी ( फोटो जागरण)।

    संजय सिंह, निरसा। निरसा प्रखंड के उपचुरिया गांव निवासी आजाद अंसारी अपनी मेहनत से दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए हैैं। मिश्रित खेती करने में उनका कोई जोर नहीं है। आजाद अंसारी ना सिर्फ 10 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे, बल्कि 2014 से 2000 स्क्वायर फीट में मुर्गी फार्म बनाकर मुर्गी पालन भी कर रहे हैं। 100 फीट लंबा-चौड़ा तालाब बनाकर मछली पालन भी खूब हो रहा। आजाद अंसारी सिर्फ मुर्गा व मछली बेचकर साल में ढाई लाख रुपए शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसा मिश्रित खेती की वजह से संभव हो सका है। मुर्गी के मल-मूत्र को खेत में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे दोहरा फायदा हो रहा। उत्पादन तो बढ़ा ही, खाद खरीदने में लगनेवाली राशि की भी बचत हो गई। यही नहीं मुर्गी के मल मूत्र को मछली के चारे के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आजाद के काम से प्रभावित होकर कई अन्य किसानों ने भी मिश्रित खेती की शुरुआत की है।

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    50 प्रतिशत सब्सिडी पर खोला मुर्गा फार्म

    आजाद अंसारी ने बताया कि वर्ष 2013 में निरसा प्रखंड कार्यालय आता जाता था। उसी दौरान प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी डाक्टर श्रीनिवास सिंह ने मुर्गी पालन का प्रशिक्षण लेने हजारीबाग भेजा। प्रशिक्षण प्राप्त करके आने के बाद वर्ष 2014 में पशुपालन विभाग द्वारा 50 प्रतिशत सब्सिडी पर मुर्गी फार्म खोला। वहां से मुर्गी पालन की शुरुआत की। मुर्गी पालन शुरू करने के बाद बैंक से लिए गए लोन का भुगतान करने के बाद वर्ष 2016 में मुर्गी फार्म के बगल में अपनी जमीन पर सौ फीट लंबा व चौड़ा और 20 फीट गहरा तालाब बना कर मछली पालन की शुरुआत की। मुर्गे की बिक्री 9 लाट में करता हूं। हर लाट में सभी खर्च काटने के बाद लगभग 20 से 25 हजार का मुनाफा होता है। मछली की बिक्री कर लगभग 50000 रुपए का मुनाफा होता है। इस तरह मुर्गा व मछली की बिक्री कर में प्रति वर्ष ढाई लाख रुपए तक की कमाई आराम से हो रही है।

    35 से 38 दिन में दो किलो का हो जाता है मुर्गी का चूजा

    आजाद अंसारी ने बताया कि मुर्गी का चूजा 35 से 38 दिन के अंदर दो किलो का हो जाता है। चूजा छोडऩे के 20 से 25 दिन से में मुर्गे की बिक्री शुरू कर दी जाती है। एक बार में 3000 चूजा अपने फार्म हाउस में लाकर उन्हें बड़ा किया जाता है। सात साल से मुर्गी पालन करने के कारण मुर्गियों की बीमारियां व दवाओं के बारे में पूर्ण जानकारी हो गई है। मुर्गियां बीमार पड़ती है तो पशुपालन विभाग द्वारा दवा उपलब्ध करवाई जाती है। मुर्गी के मल-मूत्र का खाद व मछली के चारे के रूप में इस्तेमाल आजाद अंसारी ने बताया कि मुर्गी पालन के साथ-साथ मछली पालन बेहतर विकल्प है। मुर्गी का मल मूत्र मछली का सबसे बढिय़ा चारा है।

    10 एकड़ में करते खेती

    आजाद अंसारी ने बताया कि मुर्गी पालन व मछली पालन के साथ-साथ 10 एकड़ जमीन पर खेती करता हूं। इस वर्ष लगभग 80 क्विंंटल धान सरकार को बेची है। मुर्गी पालन, मछली पालन एवं खेती की बदौलत मेरे पूरे परिवार की परवरिश हो रही है।

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