नीरज सिंह हत्याकांड: अदालत ने स्पष्ट किया- केवल सागर सिंह के ट्रायल पर रोक, अन्य पर रहेगी जारी
अदालत ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ सागर सिंह के मामले में अगले आदेश तक रोक रहेगी। ऐसे में सागर सिंह का मामला अलग कर निचली अदालत में सुनवाई जारी रहेगी। साथ ही राज्य सरकार से इस मामले में हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।

जेएनएन, धनबाद: धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या मामले में जेल में बंद अभियुक्त शूटर शिबू उर्फ सागर सिंह की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई की है। मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की पीठ ने उसे राहत देते हुए निचली अदालत में उसके ट्रायल पर रोक लगा दी है। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ सागर सिंह के मामले में अगले आदेश तक रोक रहेगी। ऐसे में सागर सिंह का मामला अलग कर निचली अदालत में आगे की सुनवाई जारी रहेगी। साथ ही राज्य सरकार से इस मामले में हाईकोर्ट ने जवाब मांगा है। हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
इस संबंध में शूटर शिबू उर्फ सागर सिंह की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता सौरभ शेखर ने कहा कि गवाही के दौरान शिबू का वीडियो लिंक बंद रहता था। यह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 273 का उल्लंघन है। इसके तहत अभियुक्त को अपने खिलाफ होने वाली गवाही को देखने का अधिकार है। अदालत ने माना कि अगर इस मामले में अभियुक्त की याचिका को स्वीकार नहीं किया जाता है तो ट्रायल के दौरान उसे इसका लाभ मिलेगा और वह बरी हो सकता है।
13 गवाहों की गवाही को अभिलेख से हटाने की शिबू ने की है प्रार्थना
इस वर्ष आठ जून को कांड के आरोपित शूटर शिबू उर्फ सागर ने आवेदन देकर 13 गवाहों की गवाही को अभिलेख से हटाने की प्रार्थना की थी। इसे धनबाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत ने सात जुलाई को खारिज कर दिया था। आवेदन में सागर ने कहा था कि धनबाद जेल प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उसे 24 अक्टूबर 2018 को गिरिडीह जेल भेज दिया था। वहां तकनीकी वजहों से गिरिडीह जेल से कोर्ट रूम की वीडियो कांफ्रेंसिंग नहीं हो पा रही थी, इसके बावजूद 15 फरवरी 2019 को अभियोजन ने कांड के चश्मदीद गवाह आदित्य राज, पप्पू यादव एवं राकेश कुमार का बयान करा दिया। वहीं 18 फरवरी 2019 को उसकी अनुपस्थिति में ही मो. नईमउद्दीन, शंकर साव एवं विनोद साह का बयान कराया गया।
इसी तरह अन्य की गवाही भी करा दी गई। इस पूरी गवाही के दौरान उसे अदालत में पेश नहीं किया गया था। इस कारण वह गवाहों के बयान को नहीं सुन सका और न ही इस संबंध में अपने अधिवक्ता से कोई बात कर सका, जो कि उसका अधिकार है। लिहाजा प्रावधानों के तहत इन 13 गवाहों के बयान को अभिलेख से हटाया जाए। शिबू की इस दलील को जब जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत ने खारिज कर दिया तो शिबू ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

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