तुर्की के भूमध्यसागर में मिला नन्हा जीव, धनबाद के वैज्ञानिक के नाम पर हुआ नामकरण
तुर्की के भूमध्यसागर में एक नई वाटर माइट प्रजाति मिली है, जिसका नाम धनबाद के टैक्सोनॉमी विज्ञानी डॉ. तापस चटर्जी के नाम पर रखा गया है। डॉ. फुर्कन डुरुकन ने इस सूक्ष्मजीव की खोज की और डॉ. चटर्जी को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया। डॉ. चटर्जी ने 140 से अधिक नई प्रजातियों की खोज की है और कई अंतरराष्ट्रीय शोध परियोजनाओं में शामिल रहे हैं।
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तुर्की के भूमध्यसागर में मिला नन्हा जीव। (जागरण)
तापस बनर्जी, धनबाद। तुर्की के भमध्यसागर में 12 मीटर नीचे वाटर माइट की नई प्रजाति को ढू़ढ़ा गया है। तुर्की के इस्पार्टा यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेज के विज्ञानी डॉ. फुर्कन डुरुकन ने समुद्री तट से 12 मीटर तलछट वाले समुद्री घास ने सूक्ष्मजीव की इस नई प्रजाति की तलाश की है।
उनके शोध को संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय जर्नल टेलर एंड फ्रेंसिस में जगह मिली है। खास बात यह है कि तुर्की के अंताल्या बिलेम तट पर मिले सूक्ष्मजीव का नामकरण धनबाद के हीरापुर हरि मंदिर के पास रहने वाले टैक्सोनामी विज्ञानी डॉ. तापस चटर्जी के नाम पर अगाप्सिस चैटर्जी दिया गया है।
नई प्रजाति का जीनस अगाप्सिस और स्पीशीज का नाम चैटर्जी दिया गया है। डॉ. चटर्जी के टैक्सोनामी के हैलाकैरिड फैमिली के लिए दिए गए योगदान के लिए तुर्की विज्ञानी ने उन्हें अपनी खोज समर्पित की है। तुर्की के विज्ञानी ने डॉ. चटर्जी को शोध का विस्तृत ब्योरा भी भेजा है।
140 नई प्रजाति व 190 रिसर्च पेपर डॉ. चटर्जी के नाम
टैक्सोनामी विज्ञानी डॉ. चटर्जी देश-विदेश में अब तक 140 नए सूक्ष्मजीव की प्रजातियों की खोज कर चुके हैं। दुनियाभर के लगभग 20 देशों के 50 विज्ञानियों व शोधकर्ताओं के साथ उनका शोध प्रकाशित हुआ है।
डॉ. तापस चटर्जी।
5000 मीटर गहरे समुद्र में मिले सूक्ष्मजीव के टैक्सोनामी अध्ययन में भी इनकी भूमिका रही है। राष्ट्रीय समुद्रविज्ञान संस्थान गोवा के अलावा ब्रूनेई विश्वविद्यालय व दारुसलम में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे हैं। अपने करियर के शुरुआती दौर में कोरिया सरकार के प्रतिष्ठित ब्रेन पूल कार्यक्रम के तहत डेगू विश्वविद्यालय में पूर्व विजिटिंग शोधकर्ता भी रहे हैं।
उत्तराखंड में मिले नन्हे जीव को भी मिल चुका डॉ. चटर्जी का नाम
डॉ. चटर्जी के नाम पर इससे पहले उत्तराखंड में मिले सूक्ष्मजीव का नामकरण भी किया गया जा चुका है। नीदरलैंड के विज्ञानी हैरी स्मिथ व मोंट्रेंगो के विज्ञज्ञनी ब्लादिमीर पेसिक ने पौड़ी गढ़वाल के वाटर माइट का नाम डॉ. चटर्जी के नाम पर दिया था।शोध को यूनाइटेड किंगडम व न्यूजीलैंड से प्रकाशित जर्नल सिस्टमेटिक एंड अप्लायड एक्रोलाजी में स्थान मिला था।
तुर्की के प्रतिष्ठित विज्ञानी ने अपनी खोज को मेरे नाम से स्वीकृति दी जो बेहद गौरवशाली है। इससे भविष्य में और उत्कृष्ट करने की प्रेरणा मिलेगी।
- डॉ. तापस चटर्जी विज्ञानी
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