170 साल पुरानी नेताजी एक्सप्रेस का कायाकल्प, स्लीपर के 2 कोच कम होने से घट जाएंगी 88 सीटें
1855 में शुरू हुई नेताजी एक्सप्रेस (कालका मेल) अब एलएचबी रैक के साथ चलेगी। स्लीपर कोच कम होने से सीटें घटेंगी पर एसी कोच में सीटें बढ़ेंगी। 1941 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस इसी ट्रेन से गोमो में सवार हुए थे। पहले यह ट्रेन पेशावर मेल के नाम से चलती थी और 2021 में इसका नाम नेताजी एक्सप्रेस किया गया।

जागरण संवाददाता, धनबाद। 170 साल पहले 1855 में पटरी पर उतरी नेताजी एक्सप्रेस (कालका मेल) का सोमवार से कायाकल्प होगा। पुराने आईसीएफ कोच के साथ चलने वाली ट्रेन चमचमाते एलएचबी रैक से चलेगी। पूर्व रेलवे ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है।
एलएचबी रैक के साथ चलने से कोच संयोजन में भी बदलाव होगा। अभी स्लीपर के नौ कोच के बदले एलएचबी के सात कोच जुड़ेंगे। इससे स्लीपर श्रेणी की मौजूदा 648 सीटों के बदले 560 सीटें होंगी और 88 सीटें कम हो जाएंगी। थर्ड एसी के चार कोच ही जुड़ेंगे।
हालांकि, आईसीएफ की तुलना में एलएचबी में अधिक सीटें होने से 256 के बढ़कर 288 सीटें होंगी। सेकेंड एसी के भी तीन कोच जुड़ेंगे। पर मौजूदा 144 से बढ़ कर 156 हो जाएंगी। इसी तरह फर्स्ट एसी का कोच जुड़ेगा और 18 के बदले 24 सीटें होंगी।
1941 में इसी ट्रेन से गोमो से गुम हुए थे नेताजी, तब थी पेशावर मेल
17 जनवरी 1941 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस इसी ट्रेन पर गोमो में सवार हुए थे। उन्हें अंतिम बार यहीं देखा गया था। तब यह ट्रेन 63अप पेशावर मेल के रूप में चलती थी।
बाद में इस ट्रेन का नामकरण कालका मेल के रूप किया गया। नेताजी के जन्म के 125 साल पूरे होने पर वर्ष 2021 में इस ट्रेन का नामकरण नेताजी एक्सप्रेस किया गया।
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