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    NEET Success Story: अपने सपने को बुनने पल्‍लवी जाती थी आठ क‍िमी घर से दूर... लोग उड़ाते थे मजाक, अब बनेगी डॉक्‍टर

    By Atul SinghEdited By:
    Updated: Fri, 09 Sep 2022 09:52 AM (IST)

    बस के ड्राइवर और अन्य लोग कहते थे कि यह भला क्या कर पाएगी। जब दसवीं का परिणाम आया तो सबकी बोलती बंद हो गई। पल्लवी बताती है कि गांव की पहली छात्रा जिसने डाॅक्टर बनने को बढ़ाए कदम हैं।

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    बस के ड्राइवर और अन्य लोग कहते थे कि यह भला क्या कर पाएगी। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, धनबाद : मूलरूप से देवघर के सारवां की रहने वाली पल्लवी धनबाद में गोल एंपायर के हास्टल में रहकर पढ़ाई कर रही है। यहां पल्लवी की उपलब्धि का जिक्र करना इसलिए जरूरी हो जाता है कि आर्थिक परेशानियों को झेलते हुए पल्लवी ने नीट के परिणाम में 582 अंक प्राप्त किया। पल्लवी ने सारवां के सरकारी हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी की। दसवीं के परिणाम में 94 प्रतिशत के साथ टाॅप किया तो पिता संतोष कुमार झा ने इंटरव्यू में कहा कि बेटी बड़ी होकर डाक्टर बनेगी। बस यहीं से डाक्टर बनने का सफर शुरू हो गया। पल्लवी के पिता एक प्राइवेट जाॅब करते हैं और मां पूजा गृहिणी हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। अपने घर से स्कूल जाने के लिए आठ किमी का सफर बस से करती थी। बस के ड्राइवर और अन्य लोग कहते थे कि यह भला क्या कर पाएगी। जब दसवीं का परिणाम आया तो सबकी बोलती बंद हो गई। पल्लवी बताती है कि गांव की पहली छात्रा, जिसने डाॅक्टर बनने को बढ़ाए कदम हैं। नीट में सफलता पाने वाली गांव की इकलाैती लड़की है। पल्लवी ने बताया वो एक मामूली छात्रा है, जिसका बस एक ही सपना है कि डाक्टर बने। पापा ने यहां तक पहुंचाने के लिए सबकुछ किया। बहुत परेशानी झेली है।

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    पढ़ाई के दबाव को सकारात्मक लिया और सफल हुए

    मेमको मोड़ के सौरभ सागर को 605 अंक मिला है। यह सफलता उन्हें दूसरे प्रयास में मिली है। सौरभ ने बताया कि उनपर सफल आने का काफी दबाव था, इसका कारण यह भी था कि उनके पिता संजय आनंद खुद पिछले कई वर्षों से न जाने कितने डाॅक्टर अपने संस्थान से तैयार कर चुके हैं। इस दबाव को हमेशा सकारात्मक तरीके से लिया। मां माया देवी का भरपूर सहयोग मिला। डिनोबिली स्कूल भूली से दसवीं करने के बाद आइएसएल झरिया से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। नंबर बहुत अधिक नहीं था, फिर भी मेडिकल क्रैक करने की चाहत थी। हर दिन 12 से 15 घंटे पढ़ता था। अधिकतर पढ़ाई रात में होती थी। पढ़ाई के अलावा क्रिकेट खेलने का शाैक है। सौरभ ने अपने जूनियर्स को मैसेज दिया कि दबाव को खुद पर हावी न होने दें, हमेशा सकारात्मक होकर पढ़ाई करें।