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    मेडिकल कॉलेज में तमाम कोशिश के बावजूद नहीं बढ़ी एमबीबीएस की सीटें, पहले राउंड की काउंसलिंग शुरू

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:59 AM (IST)

    शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज में एडमिशन सेल का गठन किया गया है। एडमिशन सेल के माध्यम से कॉलेज में छात्रों का नामांकन किया जाएगा। इसके लिए छात्रों को अपना मार्कशीट नीट का मार्कशीट सहित अन्य कागजात प्रस्तुत करने होंगे।

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    शहीद निर्मल महतो मेडिकल कालेज में नामांकन प्रक्रिया शुरू।

    जागरण संवाददाता, धनबाद। तमाम कोशिश के बावजूद आखिरकर शहीद निर्मल महतो मेमोरियल कॉलेज एवं अस्पताल में एमबीबीएस सीटों की संख्या 50 ही रह गई है। अंतिम समय तक सरकार ने 100 सीटें बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन अब 50 सीटों पर ही नामांकन होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद निट के तहत पास हुए अभ्यार्थियों का पहले राउंड का काउंसलिंग शुरू हो गया है। पहले राउंड के काउंसलिंग के बाद मेडिकल कॉलेज में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी। इससे पहले सीटों की संख्या 100 करने के लिए राज्य सरकार नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) से संपर्क किया इसके बावजूद सीटों की संख्या नहीं बढ़ पाई।

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    मेडिकल कॉलेज में किया गया एडमिशन सेल का गठन

    जनवरी के अंत तक नामांकन शुरू कर दिया जाएगा। इसके तहत मेडिकल कॉलेज में एडमिशन सेल का गठन किया गया है। एडमिशन सेल के माध्यम से कॉलेज में छात्रों का नामांकन किया जाएगा। इसके लिए छात्रों को अपना मार्कशीट नीट का मार्कशीट सहित अन्य कागजात प्रस्तुत करने होंगे। एडमिशन सेल के गणेश कुमार ने बताया कि सेंट्रल कोटा के एडमिशन होने के बाद राज्य कोटा का नामांकन किया जाएगा। कोरोनावायरस महामारी के कारण इस बार नामांकन की प्रक्रिया लगभग 5 महीने देरी से हो रही है। मेडिकल कॉलेज में सेंट्रल कोटा का नामांकन कम से कम 30 सितंबर तक पूरा हो जाया करता था। सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन भी था। लेकिन इस बार महामारी के वजह से ऐसा नहीं हो पाया।

    मेडिकल कॉलेज में 7 एमबीबीएस की सीटें नीट के लिए

    मेडिकल कॉलेज में 15 प्रतिशत सीटें नेशनल कोटा नीट के लिए आरक्षित की गई हैं। 50 सीटों पर लगभग 7 एमबीबीएस सीट नेशनल कोटा को आवंटित किया गया है। इसके बाद 43 सीटों पर पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षित रहेगा। दिव्यांग कोटा और ईडब्ल्यूएस कोटा भी लागू हैं। मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की लगभग 30 प्रतिशत कमी रह गई। इसी कमी को देखते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन ने 100 सीटों की अनुमति नहीं दी है। तमाम कोशिशों के बावजूद इस बार भी राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या नहीं भर पाई।