Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नीरज हत्याकांड में अगले आदेश तक निचली अदालत की सुनवाई पर झारखंड हाई कोर्ट ने लगाई रोक

    By Atul SinghEdited By:
    Updated: Tue, 23 Aug 2022 05:42 PM (IST)

    8 जून 22 को शूटर शिबू उर्फ सागर ने अदालत में आवेदन दायर कर 13 गवाहों की गवाही को अभिलेख से हटाने की प्रार्थना की थी । जिसे जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत ने 7 जुलाई 22 को खारिज कर दी थी।

    Hero Image
    जिसे जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत ने 7 जुलाई 22 को खारिज कर दी थी।

    व‍िध‍ि संवददाता, धनबाद: चर्चित नीरज हत्याकांड के सुनवाई पर झारखंड उच्च न्यायालय ने अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इस बाबत जानकारी देते हुए पूर्व विधायक संजीव के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने बताया कि जेल में बंद शूटर शिबू सिंह के आवेदन पर सुनवाई करते हुए झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने शिबू के अधिवक्ता सौरव शेखर की दलील सुनने के बाद मंगलवार को यह आदेश दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    13 गवाहों की गवाही को अभिलेख से हटाने की शिबू ने की थी प्रार्थना

    8 जून 22 को शूटर शिबू उर्फ सागर ने अदालत में आवेदन दायर कर 13 गवाहों की गवाही को अभिलेख से हटाने की प्रार्थना की थी । जिसे जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत ने 7 जुलाई 22 को खारिज कर दी थी। कोर्ट को दिए आवेदन में सागर ने कहा था कि उनकी अनुपस्थिति में ही 13 गवाहों की गवाही दर्ज की गई जो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 273 व भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 -22 के प्रावधानों का उल्लंघन है। सागर ने आवेदन में कहा था कि जेल प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उसे 24 अक्टूबर 18 को गिरिडीह जेल भेज दिया था।

    वह गिरिडीह जेल में बंद था तकनीकी वजहों से गिरिडीह जेल से कोर्ट रूम का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नहीं हो पा रहा था बावजूद इसके 15 फरवरी 19 को अभियोजन ने कांड के कथित चश्मदीद आदित्य राज, पप्पू यादव एवं राकेश कुमार का बयान दर्ज करा दिया । वही 18 फरवरी 19 को उसकी अनुपस्थिति में ही मोहम्मद नईमउद्दीन, शंकर साव एवं विनोद साह का बयान दर्ज कराया गया।

    जबकि 22 फरवरी 19 को डॉ उदय कुमार सिन्हा, सिकंदर जयसवाल, अमरजीत कुमार, अमर सिंह, अनीता देवी एवं अरविंद कुमार का बयान दर्ज करा दिया गया। जबकि 23 फरवरी 19 को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अर्पित श्रीवास्तव का बयान दर्ज कराया गया ।इस पूरी गवाही के दौरान उसे अदालत में पेश नहीं किया गया था जिस कारण वह गवाहों के बयान को नहीं सुन सका और ना ही इस संबंध में अपने अधिवक्ता को कोई दिशा निर्देश दे पाया, जो कि उसका अधिकार है। जेल प्रशासन द्वारा उसे पेश नहीं किया गया और इस दौरान 13 महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही अभियोजन द्वारा करा ली गई।

    लिहाजा दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के तहत उपरोक्त 13 गवाहों के बयान को अभिलेख से हटाया जाए। परंतु शिबू के इस दलील को जिला एवं सत्र न्यायाधीश अखिलेश कुमार की अदालत ने खारिज कर दिया था जिसे शिबू ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।