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    मैथन डैम के 71 साल पूरे, आज कई कार्यक्रम

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 07 Jul 2018 10:00 AM (IST)

    मैथन : बिजली उत्पादन में बुलंदियों को छूते आज डीवीसी के मैथन डैम के 71 साल पूरे हो गए। डी

    मैथन डैम के 71 साल पूरे, आज कई कार्यक्रम

    मैथन : बिजली उत्पादन में बुलंदियों को छूते आज डीवीसी के मैथन डैम के 71 साल पूरे हो गए। डीवीसी अपने 71वें स्थापना दिवस को यादगार बनाने की तैयारी में है। शनिवार की सुबह डीवीसी के अधिकारी डैम स्थित शहीद मीनार पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद डीवीसी के रामानुज भवन प्रांगण में झंडोत्तोलन एवं समारोह का आयोजन किया जाएगा।

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    भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक डीवीसी भारत की बहुद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना है। यह 7 जुलाई 1948 को स्वतंत्र भारत की प्रथम बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना के रूप में अस्तित्व में आया। भारत के जनमानस की धरोहर डीवीसी के उद्भव तथा दामोदर नदी को नियंत्रित करने के लिए डीवीसी का निर्माण हुआ था।

    यह नदी बिहार अब झारखंड तथा पश्चिम बंगाल के राज्यों को छूते हुए 24000 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली हुई है। उस वक्त दामोदर नदी की प्रबलता एवं बाढ़ द्वारा निरंतर विध्वंस का सामना करना पड़ रहा था। दामोदर के विध्वंसकारी प्रलय को प्रथम बार 1930 में रिकॉर्ड किया था। इसके बाद भी नियमित अंतराल पर बाढ़ आती रही। 1943 की बाढ़ ने अपनी प्रचंड तबाही की छाप छोड़ दी। इसके परिणामस्वरूप बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल ने बर्दवान के महाराज की अध्यक्षता तथा भौतिक वैज्ञानिक डॉ. मेघनाद साहा को सदस्य के बतौर जांच बोर्ड का गठन किया। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के टेनिसी घाटी प्राधिकरण टीवीए के अनुरूप एक प्राधिकरण गठन का सुझाव दिया। उसके बाद भारत सरकार ने श्री डब्ल्यू एल वुर्दुइन टीवीए के वरिष्ठ अभियंता को घाटी की समेकित विकास हेतु अपनी अनुशंसा प्रस्तुत करने के लिए नियुक्त किया। उसके बाद अगस्त 1944 में श्री वुर्दुइन ने दामोदर नदी के एकीकृत विकास पर प्रारंभिक खाका प्रस्तुत किया। श्री वुर्दुइन ने दामोदर घाटी में बाढ़ नियंत्रण, ¨सचाई, विद्युत उत्पादन तथा नौकाचालन के लिए बहूद्देशीय विकास योजना का सुझाव दिया। भारत सरकार द्वारा नियुक्त चार परामर्शकों ने इसकी जांच की। उन्होंने भी वुर्दुइन की योजना के प्रमुख तकनीकी विशिष्टताओं का अनुमोदन किया तथा तिलैया से शुरू कर मैथन डैम तक निर्माण शीघ्र प्रारम्भ करने की अनुशंसा की।

    अप्रैल 1947 में इस योजना के क्रियान्वयन के लिए केंद्र ने पश्चिम बंगाल तथा बिहार सरकारों के बीच व्यवहारिक रूप से करार किया गया तथा मार्च 1948 में दामोदर घाटी निगम के गठन के उद्देश्य के लिए तीन सरकारों, केंद्र सरकार तथा पश्चिम बंगाल सरकार और बिहार अब झारखंड को मिलाकर केन्द्रीय विधानमंडल द्वारा दामोदर घाटी निगम अधिनियम 1948 को पारित किया गया। इसके साथ ही दुर्दम्य दामोदर नदी को वश में करने तथा घाटी में बार-बार भयंकर बाढ़ से होनेवाली क्षति को नियंत्रित करने के लिए डीवीसी की स्थापना की गई। यह टेनिसी वैली कारपोरेशन के प्रतिमान पर आधारित है।

    डीवीसी के निर्माण का मुख्य उद्देश्य बाढ़ नियंत्रण व सिंचाई, विद्युत उत्पादन, प्रेषण व वितरण, पर्यावरण संरक्षण तथा वनीकरण, दामोदर घाटी के निवासियों का सामाजिक-आíथक कल्याण, औद्योगिक और घरेलू उपयोग के लिए जलापूíत करना था। वर्तमान में डीवीसी के पास 8 थर्मल पावर स्टेशन है और तीन पनबिजली केंद्र है। इसके माध्यम से करीब 5 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता है।

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