Women Empowerment: शौक ने बनाया हुनरमंद, मेहनत से संवारी तकदीर; किसी नायक से कम नहीं मधुलिका
मधुलिका जो सामान बनाती हैं उनमें नीम मुल्तानी मिट्टी उबटन बटर नारियल के तेल बादाम के तेल बकरी के दूध केस्टर ऑयल व समेत अन्य हर्बल सामग्री का उपयोग होता है। इनका मानव जीवन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।
बोकारो [ राममूॢत प्रसाद ]। बोकारो की बारी कोऑपरेटिव कॉलोनी में रहती हैं मधुलिका नायक। कभी दिल्ली में शौकिया तौर पर हर्बल साबुन, बेबी सोप, लोशन, बॉडी बटर, लिप बाम बनाने की विधि सीखी थी। आज यह हुनर उनकी तकदीर संवार रहा है। कोरोना काल में मधुलिका ने आपदा को अवसर में बदला। घर में ही ये सारी सामग्री बनाकर देशभर में अर्नवेद के नाम से इसकी ऑनलाइन बिक्री कर रही हैं। बकौल मधुलिका, हर माह इससे करीब 40 हजार रुपये की आय हो रही है। उनका सपना इस काम को बड़ा रूप देकर अन्य महिलाओं को रोजगार देना है। अभी दिल्ली व चेन्नई से कच्चा माल मंगाती हैं और कोलकाता से पैकिंग सामग्री।
स्कूल छोड़ आजमाया हुनर
मधुलिका के पति कपिल नायक बोकारो के पुपुनकी गांव के निवासी हैं। काम की तलाश में पत्नी व बेटे अर्णव के साथ दिल्ली गए। निजी कंपनी में नौकरी शुरू की। मधुलिका भी एक निजी फर्म में नौकरी करने लगीं। इनके मोहल्ले की अनीता हर्बल साबुन, बेबी सोप, लोशन बार, बॉडी बटर, लिप बाम बनाने का प्रशिक्षण देती थीं। मधुलिका को भी इन्हें बनाने का शौक था। सो उन्होंने भी उनसे प्रशिक्षण लिया। अपना ज्ञान बढ़ाने को अमेरिका की प्रशिक्षक शोनो ओ कोनार से भी इन्हें बनाने की ऑनलाइन जानकारी ली। दिल्ली में करीब चार वर्ष काम करने के बाद 2016 में कपिल बोकारो लौट आए और यहीं नौकरी करने लगे। मधुलिका ने एक स्कूल में बतौर शिक्षिका काम शुरू किया। यहां मानदेय कम था। तब नौकरी छोड़ दी और अपना हुनर आजमाने का फैसला किया। दिसंबर 2019 में हर्बल साबुन, बेबी सोप, लोशन बार, बॉडी बटर, लिप बाम बनाना शुरू कर दिया।
नीम, मुल्तानी मिट्टी का प्रयोग
मधुलिका जो सामान बनाती हैं उनमें नीम, मुल्तानी मिट्टी, उबटन, बटर, नारियल के तेल, बादाम के तेल, बकरी के दूध, केस्टर ऑयल व समेत अन्य हर्बल सामग्री का उपयोग होता है। इनका मानव जीवन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। अधिकांश सामग्री वे दिल्ली व चेन्नई से मंगाती हैं क्योंकि ये बोकारो में उपलब्ध नहीं हैं।
अमेजन-स्नैपडीह से ऑनलाइन बिक्री
मधुलिका ने बताया कि उनकी बनाई सामग्री को अपने शहर में बेचने के बाद भी पर्याप्त आय नहीं हो रही थी। दिसंबर, 2019 में पर्याप्त बिक्री नहीं होने से वह बेहद निराश थीं। लॉकडाउन में पति से सहयोग लिया। अपनी वेबसाइट बनाई। अपने प्रोडक्ट अर्नवेद का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में पंजीकरण कराया। ट्रेड मार्क के लिए आवेदन दिया। अमेजन व स्नैपडील के माध्यम से इसकी ऑनलाइन बिक्री सुनिश्चित कराई। लॉकडाउन के दौरान खूब मेहनत की। नतीजा ये रहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, असम समेत कई राज्यों से इन उत्पादों की अच्छी मांग आई। आज स्थिति यह है कि हर माह 200 से 300 किलो कच्चे माल की खपत हो रही है। हर माह 2600 पीस साबुन के अलावा बाम सहित अन्य सामान की बिक्री हो रही है। लॉकडाउन से पहले जहां बमुश्किल पांच हजार की आय हो रही थी, अब हर माह करीब 40 हजार की आमदनी हो रही है।