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    प्रशासन ने मूंदी आंख तो स्थानीय लोगों ने नौ करोड़ के स्टेडियम को बचाने का उठाया बीड़ा, आखिर क्‍यों हुई यह हालत

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Tue, 28 Feb 2023 11:53 AM (IST)

    धनबाद के पहले सरकारी खेल मैदान मेगा स्पोटर्स कांप्लेक्स की हालत इन दिनों हैंडओवर के इंतजार में जर्जर बना हुआ है। लोग यहां आकर गंदगी मचाते हैं। ऐसे में स्‍थानीय निवासियों ने इसे साफ-सुथरा रखने का जिम्‍मा उठाया है।

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    लोग तख्तियां लेकर कर रहे स्‍टेडियम को साफ-सुथरा रखने की अपील

    जागरण संवाददाता, धनबाद।  धनबाद का पहला सरकारी खेल मैदान हीरक रोड ठाकुरकुल्ही में मेगा स्पोटर्स कांप्लेक्स के नाम से बनकर तैयार है। नौ करोड़ रुपये इस पर खर्च हो चुके हैं। अभी तक इसका हैंडओवर नहीं हो सका है। इसका नतीजा यह निकल रहा है कि हैंडओवर के इंतजार में यह जर्जर हो रहा है, यहां अराजकतत्वों का जमावड़ा लगा रहता और और यहां-वहां शराब की बोतलें टूटी हुई मिल जाएंगी। इसे बचाने के लिए ठाकुरकुल्ही और स्थानीय युवा आगे आए हैं और ये बड़ी ही अनूठे तरीके से स्टेडियम बचाने की अपील कर रहे हैं। स्टेडियम में जगह-जगह पोस्टरिंग की जा रही है।

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    स्‍थानीय लोगों ने उठाया स्‍टे‍डियम की सुरक्षा का जिम्‍मा

    स्थानीय निवासी सनोज कुमार अपने हाथों में पोस्टर लिए धनबादवासियों से इस स्पोटर्स कांप्लेक्स को बचाने की अपील कर रहे हैं। सनोज ने अपने पोस्टर में लिखा है कि स्टेडियम आने वाले प्यारे साथियों से अनुरोध है कि कृपया अपने साथ ला रहे शराब की खाली बोतलें, खाने का पैकेट और पानी की बोतले अपने साथ ही लेकर जाएं। इसकी वजह से यहां सुबह टहलने वाले लोगों, खिलाड़ियों और मवेशियाें को परेशानी हो रही है। टूटी हुई कांच की बोतल से खिलाड़ी चोटिल हो रहे हैं।

    बड़े-बुजुर्ग कर रहे हैं स्‍टेडियम को साफ रखने की अपील

    कुछ ऐसा 70 वर्षीय रामकुमार बाबू भी हाथों में पोस्टर लिए कहते दिख रहे हैं। रामकुमार बताते हैं कि हमारे समय ऐसा खेल का मैदान नहीं था। आज है तो हमें इसकी देखरेख करनी होगी। लोग आते हैं और इसे गंदा कर चले जाते हैं। इसे बचाने की जिम्मेवारी हमारी है। ठाकुरकुल्ही के लोग और खिलाड़ी हर दिन स्टेडियम पहुंचकर आने-जाने वालों को जागरूक कर रहे हैं। स्टेडियम साफ रखने की अपील कर रहे हैं।

    सूरज अस्त, शराबी मस्त

    भवन प्रमंडल ने 2003 में मेगा स्पोटर्स कांप्लेक्स की नींव रखी थी। उस समय इसकी लागत साढ़े चार करोड़ रुपये थी। स्टेडियम निर्माण का टेंडर मिलने के बाद निर्माण एजेंसी बीच में अधूरा काम छोड़कर भाग गई। 2020 में दोबारा तीन करोड़ 80 लाख रुपये का टेंडर निकाला गया। ठेकेदार ने इसका काम पूरा कर 2022 में हैंडओवर लेने के लिए भवन प्रमंडल को पत्र लिख।

    हैंडओवर को लेकर चल रही फेंकाफेंकी

    भवन प्रमंडल ने यह कहते हुए हैंडओवर लेने से इंकार कर दिया कि स्टेडियम खेल विभाग का है। अब एक-दूसरे पर फेंकाफेंकी हो रही है। स्टेडियम के अंदर 52 कमरे हैं। यहां शाम ढलने के साथ ही शराबियों एवं अराजकतत्वों को जमावड़ा लग जाता है। कमरे के दरवाजे एवं खिड़कियां क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। कुछ तो गायब हैं।

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