इंजीनियरिंग की 30 हजार रुपये की नौकरी छोड़ी, आज मछली पालन और खेती से कमा रहे तीन गुणा अधिक
धनबाद मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर टुंडी में रहने वाले 29 वर्षीय मोहम्मद नदीम ने पहले कंक्रीट के जंगल में अपना भविष्य तलाशा। हालांकि जब इंजीनियरि ...और पढ़ें

धनबाद [मोहन गोप]: धनबाद मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर टुंडी में रहने वाले 29 वर्षीय मोहम्मद नदीम ने पहले कंक्रीट के जंगल में अपना भविष्य तलाशा। हालांकि जब इंजीनियरिंग की नौकरी रास नहीं आई तो बोरिया बिस्तरा समेट गांव आ गए और आज यहीं से तीन गुणा अधिक पैसे कमा रहे हैं।
नदीम ने नौकरी छोड़कर मछली पालन में अपना भविष्य तलाशा। मछली पालन के साथ ही इंटीग्रेटेड फार्मिंग भी कर रहे हैं। अपने तालाब के चारों ओर विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगा रहे हैं। वर्ष 2016 में मोहम्मद नदीम ने कर्नाटका से इंडस्ट्रियल एंड प्रोडक्शन इंजीनियरिंग किया था। इसके बाद दिल्ली समेत विभिन्न जगहों पर नौकरी की। बताया कि शुरुआती दौर में उन्हें करीब 30 हजार रुपये मिलते थे, लेकिन वहां मन नहीं लगता था। वर्ष 2019 में वह अपने घर टुंडी आ गए। आजीविका के लिए मन में स्वरोजगार की ठानी। बताया कि उनके पुश्तैनी तीन अलग-अलग तालाब हैं। यहां आकर मछली पालन शुरू किया। आज नदीम लगभग 3 एकड़ क्षेत्र में फैले तालाब में मछली पालन कर रहे हैं। सब्जी और मछली पालन से नदीम लगभग तीन गुणा अधिक रुपये कमा रहे। बताया कि हर महीने 40-50 हजार रुपये का मुनाफा उन्हें हो रहा है। नदीम बताते हैं कि स्वरोजगार करके दो और युवकों को नौकरी दे रहे हैं। उनकी मछली और सब्जी धनबाद सहित दूसरे जिलों के बाजारों में भेजी जा रही है।
नौकरी के पीछे भागने की जरूरत नहीं
नदीम बताते हैं कि पढ़ाई करने के बाद नौकरी की तलाश में जुट गया, लेकिन वर्तमान में नौकरी में सुकून नहीं है। काम से ज्यादा अनावश्यक तनाव होता है, लेकिन स्वरोजगार में ऐसा नहीं है। यह काम अपने हाथ में है। जितना लाभ कमाना चाहेंगे, आगे बढ़ना चाहेंगे तो स्वरोजगार के क्षेत्र में बेहतर संभावनाएं खुलती चली जाएंगी। अच्छी बात यह है कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अब विभिन्न योजनाओं में अनुदान भी मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पास योजना को लेकर आवश्यक संसाधन पहले से मौजूद थे। अब सरकारी सहायता मिली तो सपने साकार होने लगे हैं।
सरकारी योजनाओं का उठाएं लाभ
जिला मत्स्य पदाधिकारी मुजाहिद अंसारी ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना समेत कई सरकारी योजनाएं युवक-युवतियों के लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो रही हैं। बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार के लिए विभिन्न प्रकार के अनुदान दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मछली पागल के साथ ही इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चर यानी सब्जी उत्पादन, मुर्गी पालन भी किया जा सकता है। एक साथ कई स्वरोजगार किए जा सकते हैं। अच्छी बात यह है कि यह सारे रोजगार एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, जहां पर कम लागत में बेहतर लाभ कमाया जा सकता है।

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