Bihar News: भाषा विवाद में एंट्री के साथ ही छा गए लालू, झारखंड ही नहीं बिहार में भी दिखेगा असर
Lalu Prasad Yadav राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की राजनीति का जवाब नहीं है। वह अच्छी तरह जानते हैं कि कब किस मुद्दे को लपकना है। उन्होंने झारखंड की धरती पर कदम रखते ही भोजपुरी मगही और अंगिका विरोध की राजनीति को लपक किया है। इसका बिहार में असर दिखेगा।

जागरण संवाददाता, धनबाद। भोजपुर, मगही और अंगिका के विरोध में पिछले एक महीने से झारखंड की राजनीति गर्म है। झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के बैनर तले भोजपुरी, मगही और अंगिका का विरोध किया जा रहा है। तीनों भाषाओं को बोलने वालों की संख्या झारखंड में लाखों हैं। लेकिन मामला संवेदनशील होने के कारण कोई भी दल और नेता इन भाषाओं के समर्थन में नहीं बोल रहा था। पहली बार लालू प्रसाद यादव जैसे बड़े शख्सियत का समर्थन मिलने से भोजपुरी, मगही और अंगिका बोलने वालों के बीच अच्छा संदेश गया है। इन सबके बीच लालू प्रसाद यादव छा गए हैं। लालू की इस राजनीति का झारखंड की नहीं बिहार में भी आने वाले दिनों में असर दिखेगा।
भोजपुरी समाज किसी से नहीं डरता
झारखंड में भाषा विवाद को लेकर चल रही बयानबाजी में राजद प्रमुख लालू प्रसाद भी कूद पड़े हैं। उन्होंने भोजपुरी, मगही और अंगिका के खिलाफ आग उगल रहे राज्य सरकार के मंत्री जगरनाथ महतो को आड़े हाथ लिया है। लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले से जुड़े मुकदमे को लेकर रविवार झारखंड की राजधानी रांची पहुंचे। इस दाैरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भोजपुरी समाज किसी से डरता नहीं है। जो मंत्री इसका विरोध कर रहे हैं, उनका विरोध गलत है। हम उनका विरोध करेंगे। लालू प्रसाद द्वारा इस मुद्दे पर खुलकर साथ देने से भाषा विवाद में नया मोड़ आ गया है। राजद हेमंत सरकार में साझीदार भी है। ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भाषा विवाद पर कोई भी निर्णय लेने से पहले लालू प्रसाद यादव के बयानों पर जरूर गाैर करेंगे।
धनबाद और बोकारो में हो रहा आंदोलन
धनबाद और बोकारो की स्थानीय भाषा में भोजपुरी-मगही को शामिल करने का मंत्री जगरनाथ महतो खुलकर विरोध कर रहे हैं। उन्होंने 10 फरवरी को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में भी अपने रुख से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अवगत कराया था। इस मुद्दे पर धनबाद और बोकारो में ही ज्यादा राजनीति हो रही है। हिंसा की भी घटनाएं घट चुकी है। कोडरमा के पूर्व सांसद रवींद्र राय पर हमला हो चुका है। धनबाद और बोकारो में जिलास्तरीय नियोजन में अन्य भाषाओं के साथ भोजपुरी भी शामिल है। इसी का झारखंडी भाषा संघर्ष समिति विरोध कर रहा है।
लालू के बयान के बाद बिहार की राजनीति भी होगी प्रभावी
लालू प्रसाद यादव ने भोजपुरी, अंगिका और मगही के समर्थन में बयान देकर प्रभावी राजनीतिक कदम उठाया है। दरअसल, झारखंड की राजनीति में राजद के लिए कुछ खास नहीं है और न ही उम्मीद। राजद का बिहार में भी सबकुछ है। बिहार में भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा बोलने वाली की संख्या करोड़ों में हैं। लालू यादव ने समर्थन में बयान देकर झारखंड के साथ-साथ बिहार की राजनीति को भी साध लिया है।
लालू के बयान का मिल रहा समर्थन
राजद अध्यक्ष के बयान का धनबाद और बोकारो में भोजपुरी, मगही और अंगिका बोलने वालों ने स्वागत किया है। वैसे लोग भी मन ही मन खुश हैं जो राजद की राजनीति में अपने को फिट नहीं पाते हैं। धनबाद के छात्र-युवाओं ने समर्थन के लिए लालू यादव को बधाई दी है। 'स्वाभिमान-अस्तित्व की लड़ाई' के बैनर तले धनबाद में भोजपुरी, मगही और अंगिका के समर्थन में अभियान चला रहे सुमीत कुमार सिंह, राहुल पांडेय, डा. अभय यादव, मदन कुमार गुप्ता, अधिवक्ता संतोष सिंह, आभाष सिन्हा, विवेक विशाल, अमित कुमार सिंह, अभिनव सिन्हा, विनोद गुप्ता ने राजद अध्यक्ष को बधाई दी है। इन सबने दूसरे दलों के नेताओं को भी समर्थन में बयान देने की अपील की है।
लालू यादव भी भोजपुरी भाषी
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की भाषा भोजपुरी है। वह मूल रूप से बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं। लायू यादव जब भोजपुरी में बोलते हैं उन्हें लोग खूब पसंद करते हैं। इस भाषा को लेकर उन्होंने झारखंड की राजनीति को एक अलग दिशा दे दी है।
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