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कोल इंडिया की कंपनियों को अलग करने की साजिश का आरोप लगा श्रम संगठन ने खोला मोर्चा Dhanbad Politics

केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ बीएमएस छोड़ एटक सीटू व एचएमएस ने मोर्चा खोल दिया है। दो अगस्त से कोल कंपनियों में इसका विरोध होगा।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 02 Aug 2019 01:07 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 01:07 PM (IST)
कोल इंडिया की कंपनियों को अलग करने की साजिश का आरोप लगा श्रम संगठन ने खोला मोर्चा Dhanbad Politics
कोल इंडिया की कंपनियों को अलग करने की साजिश का आरोप लगा श्रम संगठन ने खोला मोर्चा Dhanbad Politics

आशीष अंबष्ठ, धनबाद: केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीति के खिलाफ बीएमएस छोड़ एटक, सीटू व एचएमएस ने मोर्चा खोल दिया है। दो अगस्त से कोल कंपनियों में इसका विरोध होगा। पिछले दिनों रांची में पूर्व सांसद वासुदेव आचार्य की अध्यक्षता में हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया। बैठक में शामिल श्रम संगठन के केंद्रीय नेताओं ने कहा कि अगस्त में सभी कंपनियों में संयुक्त कन्वेंशन होगा। इसमें कोल इंडिया की कंपनियों के सामने उत्पन्न संकट पर चर्चा होगी।

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मजदूरों को बताया जाएगा कि कैसे केंद्र सरकार कोल इंडिया की कंपनियों को अलग करना चाह रही है। पूर्व सांसद सह एटक नेता रमेंद्र कुमार ने कहा, केंद्र सरकार सीएमपीडीआइ को कोल इंडिया से अलग करने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसका जोरदार विरोध करना जरूरी है। इस दौरान सीटू, एटक और एचएमएस की समन्वय समिति का गठन करने पर सहमति बनी। मांग पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी सीटू के डीडी रामानंदन, एटक के अशोक यादव और एचएमएस के राजेश सिंह को दी गई है।

इंटक ने भी तैयार की आंदोलन की रणनीति: इंटक से संबद्ध राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के महासचिव एसक्यू जामा ने कोल सचिव को पत्र लिखकर आंदोलन की चेतावनी दी है। 20 सूत्रीय मांग पत्र भेजा गया। इसमें इस बात का उल्लेख किया गया कि मंत्री व सचिव ने कोल इंडिया की कंपनियों को अलग नहीं करने का आश्वासन दिया था, इसके बाद भी सरकार अलग करना चाहती है।

कोल इंडिया की कई कंपनियों पर निजीकरण का खतरा: केंद्र सरकार ने कोल इंडिया की कई कंपनियों को निजीकरण व अलग करने के संकेत दे दिए हैं। बीसीसीएल, ईसीएल, सीसीएल, व डब्ल्यूसीएल के साथ ही सीएमपीडीआइएल व एसईसीएल के डांगकुनी प्लांट पर रिपोर्ट बनाई जा रही है। कोल सेक्टर की बेहतरी के लिए 1971-73 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ था। मौजूदा समय में कोल इंडिया में 2.92 लाख कर्मी कार्यरत हैं।

वहीं, देश की एकमात्र कोकिंग कोल उत्पादन करने वाली कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई भारत कोकिंग कोल लिमिटेड कंपनी का अस्तित्व खतरे में है। यहां करीब 45 हजार कर्मी कार्यरत हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, लगातार माइंस बंद होने व जमीन नहीं मिलने के करण नए माइंस नहीं खुल रहे हैं। कोल मंत्रालय लगातार घाटे में चल रही कंपनी का निजीकरण करने में लगी है। हालांकि तीन साल से घाटे में चल रही कंपनी इस बार 438 करोड़ मुनाफे में आई है, लेकिन लोदना, बाघमारा, चांच विक्टोरिया सहित कई एरिया की स्थिति खराब है। कोयला उत्पादन एक लाख टन से घटकर 72 हजार टन प्रतिदिन हो गया है। उत्पादन व ओवर बर्डन हटाने में कंपनी का ग्रोथ 17 फीसदी निगेटिव है। जबकि डिस्पैच में 7 फीसद। इधर दो दिन पहले ही प्रभारी सीएमडी शेखर शरण ने भी साफ संकेत दिया कि बीसीसीएल की स्थिति लगातार खराब हो रही है। आंदोलन व अन्य समस्याओं को लेकर कंपनी का उत्पादन व डिस्पैच ठप है। मंत्रालय ने साफ कहा है कि बीसीसीएल का अस्तित्व बचाने के लिए कड़ा निर्णय लेना पड़े तो लें।

कंपनी के हित में कठोर निर्णय ले प्रबंधन: कोल मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा समय में करीब 55 मिलियन टन कोकिंग कोल का आयात हो रहा है। बीसीसीएल की स्थिति में सुधार के लिए लंबे समय तक खदान बंद करना पड़े तो नहीं हिचकें।

बीसीसीएल का घट रहा खनन का दायरा: बीसीसीएल के खनन का दायरा राष्ट्रीयकरण के बाद से काफी घट गया है। हालांकि उत्पादन बढ़ा है। माइंस की संख्या 200 से घटकर करीब 40 तक पहुंच गई है। श्रम शक्ति 1.78 लाख तक था, लेकिन मौजूदा समय में 45 हजार पहुंच गया है।

कोल इंडिया को तोडऩे की तैयारी: कोल इंडिया लिमिटेड की इकाईयों को अलग-अलग सूचीबद्ध कर कंपनियों में शामिल किया जा सकता है। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। मकसद सरकार की कमाई बढ़ाना और प्रतिस्पर्धा तेज करना है। रिपोर्ट के अनुसार, कोल इंडिया ने मार्च में पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 607 मिलियन मीट्रिक टन का उत्पादन किया था। उत्पादन लक्ष्य को तब से कई बार संशोधित किया गया है, लेकिन उत्पादन अभी भी संशोधित लक्ष्य से कम है, इस बीच ईंधन का आयात रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है।

मालूम हो कि कोल इंडिया की चार कंपनी महानदी कोलफील्ड्स, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स, नॉर्दर्न कोलफील्ड्स और सेंट्रल कोलफील्ड्स कंपनी का आउटपुट का तीन-चौथाई से अधिक का हिस्सा है, जबकि इसके आधे से कम कर्मचारियों की संख्या है।

सीएमपीडीआइएल को अलग करने पर मचा बवाल: सीएमपीडीआइएल को अलग करने को लेकर कमेटी का भी गठन कर दिया है जो तीन माह में अपनी रिपोर्ट देगी। इधर सरकार के इस निर्णय के बाद कर्मचारी सकते में हैं।

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