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Madhavrao Sadashiv Rao GolwalKar: आरएसएस और राजनीति के बीच खींची थी एक लकीर, आज भी उसी पर चल रहा संगठन

Madhavrao Sadashiv Rao GolwalKar राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक डॉ. माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर ने आरएसएस और राजनीति के बीच एक गहरी लाइन खींची थी। वह अपने बौद्धिक में राजनीति को वेश्याओं का धर्म कहा करते थे। उसी लाइन पर आज भी आरएसएस चल रहा है।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 19 Feb 2021 10:22 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 10:38 PM (IST)
Madhavrao Sadashiv Rao GolwalKar: आरएसएस और राजनीति के बीच खींची थी एक लकीर, आज भी उसी पर चल रहा संगठन
आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS) के गुरुजी यानी माधवराव सदाशिव गोलवलकर की आज ( 19 फरवरी) को जयंती है। उनका जन्म 19 फरवरी, 1906 को नागपुर के पास रामटेक में एक मराठी परिवार में जन्म हुआ था। वे आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के निधन के बाद 1940 में राष्ट्रीय स्यवंसेकव संघ के दूसरे सरसंघचालक बने। उनकी जंयती पर धनबाद और झारखंड के भाजपा नेता याद कर रहे हैं। लेकिन वे राजनीति वे हमेशा राजनीति से दूर रहने की सलाह देते थे। वे राजनीतिक को अच्छी चीज नहीं मानते थे। महाभारत के एक श्लोक में राजनीतिक को वेश्याओं का धर्म बताया गया है। यही लाइन गुरुजी की राजनीतिक के प्रति थी।  

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ऐसे बने गोलवलकर से गुरुजी 

आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक जिनकी आज जयंती है, 1927 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से एमएससी की डिग्री हासिल की थी। वह राष्ट्रवादी नेता और विश्वविद्यालय के संस्थापक मदन मोहन मालवीय से बहुत प्रभावित थे। इसी कारण उन्होंने पढ़ाई पूरी करने के बाद बीएचयू में जंतु शास्त्र पढ़ाया। इसी दाैरान उन्होंने गुरुजी का उपनाम कमाया। बीएचयू के एक छात्र ने गुरुजी के बारे में आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को बताया। गोलवलकर ने 1932 में हेडगेवार से मुलाकात की और इसके बाद उन्हें बीएचयू में संघचालक नियुक्त किया गया। 

इस कारण आरएसएस और राजनीति के बीच खींची एक लकीर

अब जब केंद्र और देश के ज्यादातर राज्यों में आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, तब भी आरएसएस और राजनीति के बीच एक लकीर साफ नजर आती है। आरएसए का सीधे ताैर राजनीति में हस्तक्षेप नहीं है। आरएसएस खुद को अपने को राजनीति से अलग ही बताता है। मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज को सशक्त और संगठित करना ही है। यह लाइन गुरुजी ने ही तय की थी। महाभारत का एक श्लोक है जिसमें राजनीति को वेश्याओं का धर्म कहा गया है। इस श्लोक को माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर और उनके बाद के सरसंघचालक दोहराया करते थे। अपने सार्वजनिक भाषणों में कि राजनीति वेश्याओं का धर्म है। उन्होंने देश संघ को राजनीति से दूर रहने की सलाह की। इस लाइन पर आज भी संघ चलता है। हालांकि यह अलग बात है कि देश की राजनीति को संघ प्रभावित करता है।

जंयती पर भाजपाइयों ने किया याद

आरएसएस के द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी की जंयती पर शुक्रवार को झारखंड के भाजपाइयों ने याद किया। झारखंड प्रदेश भाजपा के पूर्व महामंत्री और राजमहल के विधायक अनंत ओझा और धनबाद के भाजपा नेता अमरेश सिंह ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी है। 


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