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    India-China Border Tension: अपने वीर सूपत की शहादत पर झारखंड को गर्व, सीएम और पूर्व सीएम ने किया सैल्यूट

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Wed, 17 Jun 2020 09:31 AM (IST)

    India-China Tensionशहादत की सूचना मिलने के बाद अपने लाडले के शौर्य पर पिता रविशंकर कभी भारत माता की जय का नारा लगाते तो कभी आंखोंं से निर्झर बहते आंसू को रोकने की कोशिश करते।

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    India-China Border Tension: अपने वीर सूपत की शहादत पर झारखंड को गर्व, सीएम और पूर्व सीएम ने किया सैल्यूट

    साहिबगंज, जेएनएन। भारत-चीना सीमा (India-China Border) पर देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत देने वाले साहिबगंज के कुंदन लाल ओझा पर पूरे झारखंड को गर्व है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधायक दल के नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और राजमहल के विधायक अनंत ओझा ने घटना पर दुख जताया है। साथ ही कुंदन की शहादत को सलाम किया है। दूसरी तरफ वीर सपूत के पार्थिव शरीर का साहिबगंज में इंतजार हो रहा है। गुरुवार को पार्थिव शरीर लद्दाख से साहिबगंज लाया जाएगा। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार होगा। 

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    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड के जवान कुंदन ओझा के भारत-चीन सीमा पर शहीद होने की खबर पर दुख जताया है। उन्होंने कहा है कि हमें झारखंड के इस बेटे पर नाज है, जिसने अपनी ड्यूटी के दाैरान अपने कदम पीछे नहीं खींचे, बल्कि देश के लिए अपनी जान दे दी। झारखंड सरकार और पूरा राज्य अपने वीर जवान के परिवार के साथ खड़ा है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के बेटे की शहादत पर कहा है कि घटना दुखद है। उन्होंने कहा है कि झारखंड के बेटे की शहादत पर पूरे राज्य को गर्व है। शहीद परिवार के साथ देश और झारखंड एकजुट होकर खड़ा है। 

    शहीद जवान का घर झारखंड के राजमहल विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है। स्थानीय विधायक अनंत ओझा ने कुंदन की शहात पर गर्व और दुख साथ-साथ है। हमारे लिए कुंदन का शहीद होना व्यक्तिगत छति के समान है। वह परिवार के सदस्य के समान था। उन्होंने कहा कि चाइना हमारे लिए दुश्मन नंबर वन है। उसे सबक सिखाने का समय आ गया है। 

    लद्दाख में चीनी सैनिकोंं से हुई हिसंक झड़प में जो भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं, उनमें साहिबगंज के कुंदन कुमार ओझा भी हैं। डिहारी गांव में रहने वाले परिवार को मंगलवार की शाम जैसे ही इसकी सूचना मिली, सब स्तब्ध रह गए। चीख-पुकार मच गई। करीब 15 दिन पूर्व ही कुंदन को पुत्री की प्राप्ति हुई थी। वह अपनी बेटी का मुंह तक नहीं देख पाए।

    परिजनों ने बताया कि करीब दो साल पूर्व कुंदन की शादी सुल्तानगंज के मिरहट्टी की नेहा के साथ हुई थी। पुत्री के जन्म की सूचना उन्हें फोन से दी गई थी। पत्नी को उन्होंने बताया था कि जल्द ही छुट्टी लेकर आएंगे लेकिन आस अधूरी रह गई। कुंदन रविशंकर ओझा के तीन पुत्रोंं में दूसरे नंबर पर थे। सात साल से भारतीय सेना को सेवा दे रहे थे। कुंदन के बड़े भाई मुकेश कुमार ओझा धनबाद तो छोटे भाई कन्हैया ओझा गोड्डा में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं।

    शहादत की सूचना मिलने के बाद अपने लाडले के शौर्य पर पिता रविशंकर कभी भारत माता की जय का नारा लगाते तो कभी आंखोंं से निर्झर बहते आंसू को रोकने की कोशिश करते। उनका कहना था कि बुढ़ापे का सहारा कुंदन हमें छोड़ गया लेकिन सुकून इस बात का है कि वह देश पर कुर्बान हुआ। कुंदन की पत्नी और मां भवानी देवी को देख हर आंख भीग गई। गांव में किसी भी घर में चूल्हा नहीं जला। पड़ोसी जय भगवान ओझा ने बताया कि कुंदन तीन-चार माह पूर्व गांव आया था। वह 16 दानापुर रेजिमेंट के जवान थे। उनका पार्थिव शरीर गुरुवार को यहां आने की उम्मीद है।