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    कोल ब्लॉक की नीलामी से झारखंड को सबसे अधिक 2,690 करोड़ रुपये का सालाना राजस्व

    By Deepak Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 16 Nov 2020 04:23 PM (IST)

    राष्ट्र की सबसे पहली व्यावसायिक कोयला खनन नीलामी की ऐतिहासिक सफलता से राज्यों को कुल 6656 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व मिलेगा। इस नीलामी की प्रक्रिया की समाप्ति के बाद कोयला मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी की है। 38 में 19 खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी कर ली गई है।

    38 में 19 खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी कर ली गई है।

    जेएनएन, धनबाद: राष्ट्र की सबसे पहली व्यावसायिक कोयला खनन नीलामी की ऐतिहासिक सफलता से राज्यों को कुल 6,656 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व मिलेगा। इस नीलामी की प्रक्रिया की समाप्ति के बाद कोयला मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी की है। 38 में 19 खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी कर ली गई है।

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    कोल ब्लॉक की नीलामी से झारखंड को सबसे अधिक 2,690 करोड़ रुपए का सालाना राजस्व मिलेगा, जबकि मध्य प्रदेश को 1,724 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त होगा। अन्य राज्यों में ओडिशा को 1,059 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ को 863 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र को 321 करोड़ रुपए का वार्षिक राजस्व मिलेगा।

    कोयला मंत्रालय ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि इस नीलामी प्रक्रिया के परिणाम ऐतिहासिक हैं, जो साबित करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोयला क्षेत्र में प्रवेश के रास्ते खोलने का निर्णय सही दिशा में लिया गया था। सरकार के इस कदम से देश कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर हो रहा है।

    प्रक्रिया के दौरान खदानों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली और कंपनियों ने शानदार प्रीमियम दिए हैं। सर्वाधिक प्रीमियम 66.75 फीसद रहा, जबकि औसत प्रीमियम 29 फीसद रहा। नीलामी के लिए प्रस्तावित की गईं 38 खदानों में से 19 खदानों के लिए बोली लगाई गई। इससे पहले के 10 चरणों में नीलामी के लिए प्रस्तुत कुल 116 खदानों में से 35 खदानों की नीलामी के साथ सफलता दर केवल 30 फीसद रही थी।

    अधिकतम 51 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान: नीलाम की गई 19 खदानों में से 11 ओपनकास्ट, 5 अंडरग्राउंड और शेष 3 अंडरग्राउंड एवं ओपनकास्ट मिश्रित खदानें हैं। ये खदानें पांच राज्यों, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड एवं महाराष्ट्र में अवस्थित हैं, जिनकी सम्मिलित सालाना अधिकतम उत्पादन क्षमता (पीआरसी) 51 मिलियन टन आकी गई है।