पृथ्वी का सतत विकास व इसके संरक्षण की आवश्यकता : डॉ. आशुतोष
सिदरी बीआइटी सिदरी में रसायन विज्ञान विभाग की ओर से गुरुवार को पृथ्वी दिवस पर वेबिनार का आयोजन किया गया। बीआइटी के निदेशक डॉ. धर्मेद्र कुमार सिंह ने पृथ्वी की तुलना जगत जननी माता से करते हुए हमारी सारी आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए माता पृथ्वी का आभार व्यक्त किया।
संस, सिदरी : बीआइटी सिदरी में रसायन विज्ञान विभाग की ओर से गुरुवार को पृथ्वी दिवस पर वेबिनार का आयोजन किया गया। बीआइटी के निदेशक डॉ. धर्मेद्र कुमार सिंह ने पृथ्वी की तुलना जगत जननी माता से करते हुए हमारी सारी आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए माता पृथ्वी का आभार व्यक्त किया। वेबिनार आयोजन समिति के सचिव डॉ. स्वाति तोमर ने पृथ्वी दिवस 2021 का थीम रैस्टोर अवर अर्थ पर प्रकाश डालते हुए प्राकृतिक प्रक्रियाओं, उभरती हुई हरित प्रौद्योगिकियों और नवोन्मेषी सोच पर जोर दिया। जिससे दुनिया के पारिस्थितिक तंत्र को बहाल किया जा सके। वनस्थली विद्यापीठ के सहायक प्रोफेसर डॉ. आशुतोष पांडेय ने पृथ्वी के सतत विकास लक्ष्यों पर जोर देते हुए धरती माता के संरक्षण की आवश्यकता बताई। वन अनुसंधान केंद्र ईको रिहैबिलिटेशन प्रयागराज के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ कुमुद दूबे ने खनन प्रभावित क्षेत्रों को बहाल करने के लिए फाइटोरिमेडिएशन तकनीक पर जोर दिया। उन्होंने भूमि की उत्पादकता को बहाल करने और क्षतिग्रस्त पारिस्थितिकी प्रणालियों को पुन: प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म जीवों की उपयोगिता पर बल दिया। राजीव गांधी पीजी कालेज पपरोला के पूर्व प्राचार्य और डीन प्रो वाई के शर्मा ने भारतीय पौराणिक परंपराओं की जड़ों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मानव व पर्यावरण की अवधारणा पर बल दिया। लौकिक वातावरण में मामूली बदलावों के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मानव स्वास्थ्य को यह सीधे प्रभावित करता है। इसलिए पृथ्वी का संरक्षण एकमात्र विकल्प नहीं है, बल्कि एक आवश्यकता है। आरोग्य भारती के संयुक्त सचिव डॉ. अविनाश पांडेय की ओर से तकनीकी सहायता प्रदान की गई। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो आरके सिंह की ओर से अतिथियों का स्वागत और डॉ. स्वाति तोमर ने धन्यवाद दिया।