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Cyclone Jawad: इस साल आ चुके आठ चक्रवात, अब नौंवा देनेवाला है दस्तक; जानिए-कैसे होता नामकरण

Cyclone JAWAD Updtae News साउदी अरब के चक्रवात के बाद अगली बारी श्रीलंका की है। फिर थाईलैंड यूनाइटेड अरब अमीरात और यमन की बारी आएगी। श्रीलंका ने चक्रवात का नामकरण असनी के तौर पर किया है। थाईलैंड ने सितरंग यूनाइटेड अरब अमीरात ने मैंडॉज और यमन ने मोचा रखा है।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 02:27 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 09:54 PM (IST)
Cyclone Jawad: इस साल आ चुके आठ चक्रवात, अब नौंवा देनेवाला है दस्तक; जानिए-कैसे होता नामकरण
बंगाल की खाड़ी में उठ रहा चक्रवात जवाद ( प्रतीकात्मक फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। 2021 में अब तक आठ चक्रवात आ चुके हैं। अब नौंवा दस्तक देनेवाला है। चक्रवात की शुरुआत इस साल बांग्लादेशी साइक्लोन निसर्ग से हुई। दूसरे नंबर पर भारत आया। अपने देश में आया चक्रवात था गति। इसके बाद ईरानी चक्रवात निवार, मालदीव के ब्यूरेवी, म्यांमार के ताउते, ओमान का यास, पाकिस्तान के गुलाब और कतर के शाहीन चक्रवात ने जल प्रलय सा मंजर ला दिया। लगातार एक के बाद एक चक्रवात आते रहे और थम-थम कर बारिश होती रही। चक्रवातों का ही प्रभाव रहा जिससे धनबाद में इस साल बारिश का रिकार्ड टूट गया। मानसून से पहले और मानसून के बाद भी झमाझम होती रही। अक्टूबर-नवंबर तक बारिश के बाद दिसंबर से धनबाद को राहत मिल जाती है। पर इस बार दिसंबर में भी बारिश का डर सता रहा है।

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इसके बाद श्रीलंका, थाईलैंड, यूनाइटेड अरब अमीरात और यमन की बारी

साउदी अरब के चक्रवात के बाद अगली बारी श्रीलंका की है। फिर थाईलैंड, यूनाइटेड अरब अमीरात और यमन की बारी आएगी। श्रीलंका ने चक्रवात का नामकरण असनी के तौर पर किया है। थाईलैंड ने सितरंग, यूनाइटेड अरब अमीरात ने मैंडॉज और यमन ने आने वाले चक्रवात का का नाम मोचा दिया है।

अब 13 देश और 13 नाम

2019 तक चक्रवात का नामकरण वाले आठ देश ही थे। इनमें भारत, बांगलादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, मालदीव, ओमान और म्यांमार थे। 2020 से इसमें पांच और शामिल हुए। इनमें कतर, साउदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात, ईरान और कतर भी जुड़ गए हैं। विश्व मौसम संगठन में शामिल इन देशों की ओर से अपने-अपने हिस्से में चक्रवात का नाम दिया जाता है। पहले आठ देश इसमें शामिल थे और हर देश को आठ नाम ही तय करना था। अब 13 देश शामिल हुए हैं और 13 चक्रवातों का नाम भी तय किया है।

क्या कहते हैं जानकार

मानसून के अध्ययनकर्ता डा. एसपी यादव का कहना है कि समुद्री सतह का पानी सामान्य से अधिक गर्म होने की वजह से चक्रवात जैसी परिस्थिति बनती है। अमूमन अक्टूबर तक मानसून की इस क्षेत्र से विदाई के दौरान चक्रवात आने की संभावना रहती है। नवंबर-दिसंबर के चक्रवात ज्यादातर दक्षिण भारत में आते हैं। इस बार इसका प्रभाव धनबाद में भी दिख सकता है। बंगाल की खाड़ी में आनेवाले साइक्लोन के दायरे में धनबाद के आने की वजह से ऐसा संभव है। तीन से छह दिसंबर के बीच बादल छाने और बारिश का अनुमान है।


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