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नहीं रहे बीआइटी सिदरी के पूर्व निदेशक जनार्दन झा, 91 वर्ष की उम्र में भागलपुर में हुआ निधन

बीआइटी सिदरी के पूर्व निदेशक 91 वर्षीय डाक्टर जनार्दन झा का शुक्रवार की देर रात भागलपुर में निधन हो गया। वे 30 वर्षों से भी ज्यादा समय तक बीआइटी सिदरी से जुड़े रहे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 06:23 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 06:23 PM (IST)
नहीं रहे बीआइटी सिदरी के पूर्व निदेशक जनार्दन झा, 91 वर्ष की उम्र में भागलपुर में हुआ निधन
नहीं रहे बीआइटी सिदरी के पूर्व निदेशक जनार्दन झा, 91 वर्ष की उम्र में भागलपुर में हुआ निधन

सिदरी : बीआइटी सिदरी के पूर्व निदेशक 91 वर्षीय डाक्टर जनार्दन झा का शुक्रवार की देर रात भागलपुर में निधन हो गया। वे 30 वर्षों से भी ज्यादा समय तक बीआइटी सिदरी से जुड़े रहे। 1985 से 1987 तक बीआइटी सिदरी के निदेशक थे। डा. जनार्दन ने बीसीइ पटना से सिविल इंजीनियरिग ब्रांच से स्नातक किया था।

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बीआइटी सिदरी से सेवानिवृत्त होने के बाद वे सोवियत संघ के मास्को स्थित भारतीय दूतावास में टेक्निकल अटैची के रुप में 1989-91 तक कार्य किया। भारतीय दूतावास से सेवानिवृत्त होने के बाद बिहार सरकार में निदेशक डीएसटी के रूप में सितंबर 1992 तक काम किया। इसके बाद उन्होंने बीआइटी मेसरा में वाइस चांसलर के रूप में योगदान दिया। 1994 में वाइस प्रेसिडेंट के रूप में बिरला टेक्निकल सर्विसेज कोलकाता में योगदान दिया। 1995 में डा. जनार्दन इग्नू के प्रो वाइस चांसलर बनाए गए। यहां 1998 तक अपनी सेवा दी। इसके बाद वे मणिपाल यूनिवर्सिटी में प्रो वाइस चांसलर के रूप में अपनी सेवा दी और 70 वर्ष की आयु तक वे इस पद पर बने रहे। वर्ष 2000 में मणिपाल यूनिवर्सिटी के वाइस प्रेसिडेंट बने। मणिपाल फाउंडेशन में चार से पांच वर्षों तक काम किया। 75 वर्ष की आयु में वे मणिपाल से वापस आकर दयासागर ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन बेंगलुरु में योगदान दिया। इसके बाद अमेठी व नोएडा में योगदान दिया। जीवन के अंतिम पड़ाव में पर पैतृक स्थान भागलपुर में स्थायी रूप से रहने लगे। डाक्टर जनार्दन के एक पुत्र व दो पुत्री हैं। पुत्र संजय झा बीआइटी मेसरा से सिविल अभियंत्रण ब्रांच में इंजीनियरिग कर अभी वे सीएमपीडीआइएल में कार्यरत हैं। निधन पर जताया गहरा शोक :

बीआइटी सिदरी के वर्तमान निदेशक डा. डीके सिंह ने डाक्टर जनार्दन झा के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उनके निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया। कहा कि वे डाक्टर जनार्दन के लगातार संपर्क में रहते थे। संस्थान के विकास के लिए सदैव उनका मार्गदर्शन मिलता रहता था। कहा कि 19 नवंबर को डाक्टर जनार्दन ने उन्हें शुभकामना संदेश दिया था। यह उनका अंतिम संदेश था। इसके बाद शनिवार को सूचना मिली कि वे नहीं रहे। उनके निधन से बीआइटी परिवार शोकाकुल है।


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