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    यहां हादसों के आंगन में नाचती है मौत... सड़कों पर कराहते हैं वर्षों पुराने वाहन, इसके बावजूद सब ठीक है!

    By Shashi Bhushan RoyEdited By: Deepak Kumar Pandey
    Updated: Wed, 16 Nov 2022 09:55 AM (IST)

    एक सड़क दुर्घटना सिर्फ एक व्यक्ति की जान नहीं लेती है बल्कि पूरे परिवार को तिल-तिल कर मरने को मजबूर कर देती है। कोयलांचल में हर वर्ष सड़क हादसों में करीब 250 लोगों की जान चली जाती है। तीन सौ से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं।

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    बाहर से वाहन फिट तो अंदर चाहे कितनी भी खराबी हो, उसे चलने की मनाही नहीं है।

    धनबाद [शशि भूषण]: एक सड़क दुर्घटना सिर्फ एक व्यक्ति की जान नहीं लेती है, बल्कि पूरे परिवार को तिल-तिल कर मरने को मजबूर कर देती है। कोयलांचल में हर वर्ष सड़क हादसों में करीब 250 लोगों की जान चली जाती है। तीन सौ से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं।

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    जागरण ने इसे देखते हुए सड़क सुरक्षा अभियान शुरू किया है। इस कड़ी में जब हमने सड़क पर चल रहे वाहनों की पड़ताल की तो ऐसे वाहन भी दिखे जो कराह-कराह कर चल रहे थे। उनके इंजन से निकलती अजीब तरह की आवाज यह बताने को काफी होते हैं कि उसकी सेहत ठीक नहीं है। बावजूद उसे रोकने को यहां कोई तंत्र सक्रिय नहीं है। कोयलांचल की सड़कों पर ऐसे हजारों अनफिट वाहन रेंग रहे हैं। यहां वाहनों के फिटनेस की जांच वाहन का ऊपरी ढांचा देख कर होता है। बाहर से वाहन फिट तो अंदर चाहे कितनी भी खराबी हो, उसे चलने की मनाही नहीं है।

    धनबाद में हर वर्ष सड़क हादसे का ग्राफ यदि तेजी से बढ़ रहा है तो इसकी एक बड़ी वजह खटारा वाहन भी है। ऐसे वाहनों के फिटनेस की जांच के लिए प्रत्येक जिले में एक केंद्र होता है। धनबाद में ऐसा कोई केंद्र नहीं है। यहां मोटर यान निरीक्षक अपने स्तर से जितना बन पड़ता है अनफिट वाहनों की जांच करते हैं। अनफिट वाहनों के फिटनेस जांच का बस यही एक तरीका है। इस काम चलाऊ व्यवस्था के कारण सड़कों पर ऐसे वाहन दौड़ रहे हैं।

    नियमों का अभाव, जुगाड़ का प्रभाव

    सड़क हादसों के कारणों की फेहरिस्त में जुगाड़ गाड़ी पीछे नहीं है। जुगाड़ गाड़ी के लिए परिवहन व ट्रैफिक विभाग के पास ना कोई नियम है और ना ही कानून। कौन सा वाहन किस श्रेणी का है, इसकी जानकारी तक नहीं है। काफी दिनों तक जुगाड़ गाड़ी ठेला व रिक्शा श्रेणी में चली। जुगाड़ गाड़ी का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होता और ना ही उसके चालक को ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत पड़ती है। नतीजा, यहां जुगाड़ गाड़ी की तादाद बढ़ती जा रही है।

    निरीक्षण के दौरान पाई गई खामियां

    सड़क सुरक्षा अभियान के तहत सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ व सड़क सुरक्षा सेल के पूर्व प्रबंधक शुभंकर मित्रा के साथ निरीक्षण के दौरान एनएच-2 गोविंदपुर से तोपचांची तक जाने पर कई खामियां पाई गई। चलने वाले वाहनों पर चैनेज सिस्टम, रेडियो रिफ्लेक्टर टेप, ब्लैक स्पाट, एसएलडी, सडकों का घुमावदार, डिवाइडर, साइनएज, स्पीड ब्रेकर, स्पीड लिमिट आदि की कमी पाई गई।

    जरा मैकेनिक की भी सुनिए...

    गैराज में एक स्कार्पियो आई। इसकी आंतरिक हालत काफी खराब थी। देखने से लग रहा था कि यह नई गाड़ी है, लेकिन बनाने से पहले जब स्टार्ट कर चलाया तो लगा धक्का लग जाएगा। चालक ने बताया कि ऐसा काफी दिनों से हो रहा है। खराबी ज्यादा आ गई। इसलिए गैराज में लाया गया है। मैकेनिक परवेज अख्तर ने बताया कि वाहन का ब्रेक तो कमजोर था ही, गियर बाॅक्स में भी खराबी थी। सीट बेल्ट इस्तेमाल नहीं होने के कारण जाम हो गया था। सेंसर भी काम नहीं कर रहा था। ऐसी स्थिति में यदि हादसा होता तो एयर बैग नहीं खुलता। वाहन की लाइट और साइड मिरर में भी खामियां थी। यदि यह वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता तो शायद इस पर सफर करने वाले किसी भी व्यक्ति की जान नहीं बचती। ऐसे कई वाहन अक्‍सर मरम्‍मत के लिए गैराज में आते रहते हैं।

    हादसों के कुछ प्रमुख कारण

    - एनएच पर जगह-जगह सड़क के किनारे सजते हैं बाजार, भीड़भाड़ से वहां हो रही है दुर्घटनाएं।

    - सैकड़ों अनफिट वाहन बन रहे हादसों का कारण।

    - अधिकतर स्थानों पर ट्रैफिक नियमों की होती है अनदेखी।

    - वाहनों में रेडियम स्टीकर की कमी का के कारण पीछे से आने वाले वाहन दूर से देख नहीं पाते।

    - नशे व तेज रफ्तार से वाहन चलाने से होती हैं दुर्घटनाएं।

    अधिकारी भी बोले- नहीं है जांच केंद्र

    उप परिवहन आयुक्‍त बोले- फिटनेस पर सरकार का जोर है। फिटनेस की जांच एमवीआइ तकनीकी रूप से करते हैं। इसके लिए जांच केंद्र नहीं है, जहां वाहनों की पूरी जांच की जा सके। बीच-बीच में जांच प्रक्रिया का निरीक्षण भी किया जाता है।