International Day for the Elimination of Violence Against Women: शोषण का भय, नौकरी का दबाव... पीड़ा कहां कहें महिलाएं?
International Day for the Elimination of Violence Against Women- 25 November: कोयलांचल क्षेत्र में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजनाओं के बावजूद, कार्यस्थलों पर उनका शोषण बढ़ रहा है। महानगरों की तरह यहां भी मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन सामाजिक दबाव के कारण कई महिलाएं थाने तक पहुंचने से पहले ही समझौता कर लेती हैं, जिससे उनका मनोबल टूट रहा है।

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन दिवस-25 नवंबर।
मोहन गोप, धनबाद। एक ओर महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार और संस्थाओं की ओर से कई योजनाएं और प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कार्यस्थल पर कई कामकाजी महिलाएं आज भी प्रताड़ना और शोषण झेल रही हैं।
सरकारी से लेकर निजी संस्थानों तक महिलाएं कहीं सहकर्मी, तो कहीं वरीय अधिकारी के दुर्व्यवहार व शोषण का शिकार बन रही हैं। कई जगह महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, अप्राकृतिक यौन व्यवहार, अवांछित टिप्पणियां, अभद्रता, धमकियां और कार्यस्थलों पर शत्रुतापूर्ण माहौल जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं।

महानगरों की तरह अब कोयलांचल में भी ऐसे मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। वरिष्ठ सोशियो और साइको काउंसलर डा. कृष्णा एम. वालर बताती हैं कि कार्यस्थल पर महिलाओं को लैंगिक असमानता और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
इनमें से अधिकांश महिलाएं पुलिस तक नहीं पहुंच पातीं, क्योंकि उन्हें नौकरी जाने का खतरा रहता है और समाज में मान–सम्मान खोने का डर भी होता है। इसी कारण अब ऐसी महिलाओं को जागरूक करने की कोशिश की जा रही है।
इधर, धनबाद मेडिकल कालेज (SNMMCH) के मनोचिकित्सा विभाग में भी ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है, जहां कई महिलाएं डिप्रेशन की स्थिति में पहुंच रही हैं। लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में उत्पीड़न की शिकार
डा. कृष्णा का कहना है कि सरकारी और निजी संस्थानों में कार्यरत महिलाएं प्रताड़ना का अधिक सामना करती हैं। लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी तरह मानसिक, शारीरिक या लैंगिक उत्पीड़न से गुजर रही हैं। चिंताजनक तथ्य यह है कि कई मामलों में महिला सहकर्मी भी प्रताड़ना में शामिल होती हैं।
पुलिस चला रही जागरूकता अभियान
कार्यस्थल पर उत्पीड़न को लेकर पुलिस लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। इसके लिए महिला थाना, हेल्पलाइन नंबर, निशुल्क कानूनी सलाह और शिकायत दर्ज कराने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
मामले जो हुए सुर्खियां
केस 1: एसएनएमएमसीएच के चर्म रोग विभाग में अप्रैल 2025 में एक आउटसोर्सिंग नर्स ने कर्मचारी पर छेड़खानी का आरोप लगाया था। जांच शुरू हुई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। बाद में महिला कर्मचारी का तबादला कर दिया गया।
केस 2: धनसार के एक होटल में जुलाई 2024 में महिला सेल्स मैनेजर ने अधिकारियों पर गंभीर दुर्व्यवहार और प्रताड़ना का आरोप लगाया। इस मामले में पुलिस में भी शिकायत दर्ज कराई गई।
केस 3: बैंक मोड़ स्थित एक निजी बैंक में 2024 में महिला कर्मचारी ने वरीय अधिकारी पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। महिला ने बताया कि निजी आग्रह न मानने पर समय पर वेतन नहीं दिया गया और अपमानजनक व्यवहार किया गया।
केस 4: शहर के सरायढेला स्थित एक बड़े मॉल में महिला कर्मचारी से मारपीट की घटना सामने आई। उसने अपने सहयोगियों और बॉस पर मारपीट का आरोप लगाया। बाद में नौकरी से निकालने की धमकी देकर शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर किया गया।
सेक्सुअल हरासमेंट कमेटियां बनीं, लेकिन न्याय नहीं
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार सभी सरकारी संस्थानों में सेक्सुअल हरासमेंट कमेटियां (ICC) बनाई गई हैं। निजी संस्थानों में भी आंतरिक कमेटी गठित की जाती है।
लेकिन कई मामलों में पीड़िता को न्याय देने के बजाय समझा-बुझाकर पीछे हटने को मजबूर कर दिया जाता है, जिससे ऐसी कमेटियों का उद्देश्य ही प्रभावित हो जाता है।
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन दिवस
महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन दिवस हर वर्ष 25 नवंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों पर होने वाली घरेलू हिंसा, यौन शोषण, सामाजिक भेदभाव, मानव तस्करी, दहेज, बाल विवाह जैसे अपराधों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना और उन्हें सुरक्षा, न्याय एवं समान अधिकार दिलाना है।
1960 में तीन मिराबल बहनों की हत्या के विरोध में यह दिवस स्थापित किया गया और 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी। यह दिन समाज से अपील करता है कि महिलाएं केवल संरक्षण नहीं, बल्कि सम्मान, अवसर और सुरक्षित वातावरण की हकदार हैं।

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