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फैसला जो भी हो मंजूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क हो भरपूर होना चाहिए ...

समारोह की शुरुआत मौजूद मेहमानों ने समा रोशन कर किया। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन के साथ मुशायरा हिंदी और उर्दू के संगम को और मधुर बनाएगा। देश के नामचीन मेहमानों ने ऐसा समा बांधा।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 11:34 AM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 11:34 AM (IST)
फैसला जो भी हो मंजूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क हो भरपूर होना चाहिए ...
फैसला जो भी हो मंजूर होना चाहिए, जंग हो या इश्क हो भरपूर होना चाहिए ...

धनबाद, जेएनएन। मेरे हुजरे में नहीं कहीं और रख दो/ आसमां लाए हो/ लाओ जमीं पर रख दो/

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अब कहां ढूंढऩे जाओगे हमारे कातिल/ आप कत्ल का इल्जाम हमीं पे रख दो...। ये अल्फाज मशहूर शायर डॉ. राहत इंदौरी के हैं जो उन्होंने रविवार की रात पेश किये। मौका था इंडिगो क्लब की ओर से शहर के न्यू टाउन हॉल में आयोजित ऑल इंडिया कवि सम्मेलन और मुशायरा का।

समारोह की शुरुआत मौजूद मेहमानों ने समा रोशन कर किया। उन्होंने कहा कि कवि सम्मेलन के साथ मुशायरा हिंदी और उर्दू के संगम को और मधुर बनाएगा। देश के नामचीन मेहमानों ने ऐसा समा बांधा कि देर रात तक मुशायरे की महफिल तैरती रही और श्रोता डूबे रहे। पहले कवि के तौर पर शंकर कैमूरी ने अपनी लाइनें पेश की और पहली से आखिरी पंक्ति तक बैठे मुशायरा पसंद लोगों में देशभक्ति का जज्बा भरा। डॉ. इंदौरी को सुनने पहुंचे उनके फैन का हौसला देर रात नहीं डगमगाया। आखिरी में जब वे मंच पर आए तो तालियों से उनका इस्तकबाल भी हुआ। उन्होंने भी अपने चाहने वालों को निराश नहीं किया। अपने चिर परिचित अंदाज में उन्होंने दिल को छू लेनेवाली लाइनें पेश की। फिर दोबारा आने का वायदा कर विदा लिया। 

 डॉ. राहत इंदौरी की चंद लाइनें 

फैसला जो भी हो, मंजूर होना चाहिए

जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना होना चाहिए... ।

नई हवाओं की शोहबत बिगाड़ देती है

कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है

 ये जो दीवार का सुराख है यही साजिश का हिस्सा है

मगर हम इसे अपने घर का रोशन दान कहते हैं

कवियों के बोल 

म रा देश संगम है संगम ही रहेगा

ये गंगा रहेगी, ये जमजम भी रहेगा

किसी से हरगिज न कभी कम रहेगा

वतन मेरा उत्तम है, उत्तम ही रहेगा

शंकर कैमूरी

सियासत का जमाने में कोई घर नहीं होता

ये वो औरत है जिसका कोई शौहर नहीं होता

अशरफ याकूबी 

उसे राम दिखता है, उसे रहमान दिखता है

उसे गुरु ग्रंथ साहिब का लिखा फरमान दिखता है

मेरी आंखों में मोतियाबिंद है,

जिधर नजर उठाऊं इंसान दिखता है

सुनील कुमार तंग, सीवान 

मजहब की दीवारें तोड़ी जाएं

दिल से दिल की कडिय़ां जोड़ी जाएं

लेकिन ये ख्वाहिश से पहले 

मतलब की गलियां छोड़ी जाएं

अजय कुमार बेबाक

काम अच्छे न कर पाए तो बद करने लगे

दूसरों की कामयाबी पर हसद करने लगे

बुझ गए अपने दीये तो दूसरों की बूझे

इस इरादे से हवाओं की मदद करने लगे

जौहर कानपुरी

इनकी रही मौजूदगीः टुंडी के विधायक राज किशोर महतो, निरसा विधायक अरूप चटर्जी, डीआरएम अनिल कुमार मिश्रा, सिंफर निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, झारखंड बार काउंसिल के सदस्य मनोज सिंह, मनोज दुबे, कुमार उदय, एस रहमान, अनूप झा सहित अन्य शामिल थे। 


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