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    Indian Railways: 50 साल की हुई पाटलिपुत्र एक्सप्रेस, तब कैनेडियन वाष्प इंजन से शुरू होता था सफर

    By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar Pandey
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 09:25 AM (IST)

    हटिया से पटना तक का फासला तय करने वाली पाटलिपुत्र एक्सप्रेस के यात्रियों का सफर आज बेहद खास है। एक नवंबर ही वह दिन है जब 50 साल पहले 1972 को पाटलिपुत्र एक्सप्रेस पटरी पर उतरी थी। तब ट्रेन धनबाद से खुलती थी और वाष्प इंजन से चलती थी।

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    कैनेडियन वाष्प इंजन डब्ल्यूपी। इसी इंजन से 50 साल पहले पाटलिपुत्र एक्‍सप्रेस के सफर की शुरुआत हुई थी।

    धनबाद [तापस बनर्जी]: हटिया से पटना तक का फासला तय करने वाली पाटलिपुत्र एक्सप्रेस के यात्रियों का सफर आज बेहद खास है। एक नवंबर ही वह दिन है जब 50 साल पहले 1972 को पाटलिपुत्र एक्सप्रेस पटरी पर उतरी थी। तब ट्रेन धनबाद से खुलती थी और धनबाद से पटना तक का सफर वाष्प इंजन से पूरा करती थी। रात में धनबाद से खुलकर जसीडीह और झाझा होकर पटना पहुंचती थी।

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    धनबाद से पटना तक के लिए यही सीधी ट्रेन थी। इससे पहले पटना जाने के लिए एक अप्रैल 1964 को चली हटिया-पटना एक्सप्रेस थी। उस ट्रेन में धनबाद से बोगियां जुड़ती थीं और धनबाद और आसपास के यात्री पहले गोमो और फिर पटना पहुंचते थे। 1972 में पाटलिपुत्र चली तो गोमो जाने की समस्या खत्म हो गई। आठ-10 वर्षाें तक धनबाद से पटना के लिए पाटलिपुत्र एक्सप्रेस एकलाैती ट्रेन बनी। बाद में 29 नवंबर 1980 को धनबाद से पटना के लिए गंगा-दामोदर एक्सप्रेस को उतारा गया।

    गंगा-दामोदर एक्सप्रेस की शुरुआत होने के कुछ महीनों बाद पाटलिपुत्र एक्सप्रेस का विस्तार रांची तक हो गया। फिर हटिया से पटना के लिए चल पड़ी। झारखंड और बिहार को जोड़ने वाली ट्रेन आज भी यात्रियों में लोकप्रिय है।

    धनबाद के प्लेटफार्म ए-वन से खुलती थी पाटलिपुत्र एक्सप्रेस

    50 साल पहले चली पाटलिपुत्र एक्सप्रेस धनबाद के प्लेटफार्म ए-वन से खुलती थी। पटना से वापसी पर भी उसी प्लेटफार्म पर आती थी। प्लेटफार्म ए-वन आज भी अस्तित्व में है, मगर पाटलिपुत्र एक्सप्रेस अब उस पर नहीं जाती।

    सेवानिवृत्त रेल कर्मचारियों का कहना है कि पाटलिपुत्र एक्सप्रेस कैनेडियन वाष्प इंजन डब्ल्यूपी से चलती थी। उस वक्त आठ-नौ डब्बे ही जुड़ते थे। तब वातानुकूलित कोच भी नहीं थे।

    1960-70 के दशक में भारतीय रेल की तेज रफ्तार इंजन थी डब्ल्यूपी

    जिस डब्ल्यूपी रेल इंजन से पहली बार पाटलिपुत्र एक्सप्रेस चली, वह 1960 - 70 के दशक में भारतीय रेल की तेज रफ्तार वाली इंजन थी। उन्हीं रेल इंजनों से देश की ताज एक्सप्रेस, ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस जैसी गौरवशाली यात्री ट्रेनों के साथ दूसरी वातानुकूलित ट्रेनें चलती थीं। बाद में डीजन इंजन और इलेक्ट्रिक इंजन का दौर शुरू होते ही वाष्प इंजन अतीत का हिस्सा बन गये।