Gautam Adani ने विकास प्राथमिकताओं को प्रभावित करने वाली विदेशी ताकतों पर साधा निशाना, बोले- भारत की ग्रोथ को कम करके दिखाने की कोशिश
IIT (ISM) Centenary Week: गौतम अदाणी ने आइआइटी (आइएसएम) धनबाद के शताब्दी सप्ताह में कहा कि भारत को अपनी विकास प्राथमिकताओं पर विदेशी दबावों का डटकर वि ...और पढ़ें
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आइआइटी (आइएसएम) धनबाद के शताब्ती सप्ताह के समापन समारोह में मुख्य अतिथि गौतम अदाणी (बीच में) और अन्य।
जागरण संवाददाता, धनबाद। Gautam Adani: देश के दिग्गज उद्योगपति और अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने उन विदेशी ताकतों को कठघरे में खड़ा किया है, जो भारत की विकास प्राथमिकताओं को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे बाहरी दबावों का डटकर विरोध करना चाहिए और वही करना चाहिए जो देश के दीर्घकालिक हित में सबसे बेहतर हो।
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अदाणी का स्वागत करते आइआइटी(आइएसएम) के पदाधिकारी और शिक्षक।
हमें अपनी कहानी खुद कहनी होगी
अदाणी मंगलवार को झारखंड के धनबाद में थे। वह धनबाद स्थित IIT(ISM) के शताब्दी स्थापना वर्ष के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने पहुंचे थे। उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए कहा-अगर हम अपनी कहानी खुद नहीं कहेंगे, तो हमारी आकांक्षाओं को गलत समझा जाएगा और जीवन स्तर को बेहतर बनाने के हमारे अधिकार को वैश्विक अपराध की तरह प्रस्तुत किया जाएगा।
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अदाणी के संबोधन को ध्यान से सुनते अतिथि।
भारत के सतत विकास को कमतर दिखाने की कोशिश
उन्होंने वैश्विक आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि भारत दुनिया के सबसे कम प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन करने वाले देशों में शामिल है, जबकि उसने तय समय से पहले 50 प्रतिशत से अधिक नॉन-फॉसिल इंस्टाल्ड क्षमता हासिल कर ली है। अदाणी ने कहा कि प्रति व्यक्ति मीट्रिक्स या ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को नजरअंदाज कर भारत के सतत विकास प्रदर्शन को कमतर दिखाने की कोशिशें वैश्विक इएसजी फ्रेमवर्क में मौजूद भेदभाव को उजागर करती हैं।
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स्वागत नृत्य प्रस्तुत करतीं बच्चियां।
अपने संबोधन में उन्होंने आस्ट्रेलिया स्थित समूह की कारमाइकल कोयला खदान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसे-सदी की सबसे विवादित पर्यावरणीय और राजनीतिक लड़ाइयों, का सामना करना पड़ा, लेकिन यह परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। अदाणी ने समूह के बड़े अक्षय ऊर्जा निवेशों का उल्लेख करते हुए बताया कि गुजरात में 30 GW क्षमता वाला खावड़ा अक्षय ऊर्जा पार्क इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसके कुछ हिस्से पहले से चालू हो चुके हैं।
यह समय भारत की आजादी का दूसरा संघर्ष
उन्होंने इस समय को भारत का 'दूसरा आज़ादी का संघर्ष' बताया-इस बार आर्थिक और संसाधन संप्रभुता के लिए। उन्होंने कहा कि माइनिंग, मिनरल और अर्थ साइंस आने वाले समय में भारत की क्षमताओं का निर्धारण करेंगे। उनके शब्दों में, लोग भले ही माइनिंग को पुरानी अर्थव्यवस्था कहें, लेकिन इसके बिना नई अर्थव्यवस्था का निर्माण संभव ही नहीं है।
आज के दौर में संप्रभुता के दो स्तंभ
अडानी ने कहा कि भारत को ऐसे दौर में अपना विकास पथ स्वयं तय करना होगा, जब वैश्विक गठबंधन कमजोर हो रहे हैं और देश अपने-अपने हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने ज़ोर दिया कि 21वीं सदी में किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता दो बुनियादी स्तंभों पर टिकी होगी-अपने प्राकृतिक संसाधनों पर पूर्ण अधिकार और विकास को गति देने वाली ऊर्जा प्रणाली पर नियंत्रण।
आइआइटी (आइएसएम) राष्ट्रीय दूरदर्शिता का परिणाम
अडानी ने कहा कि यह संस्थान खुद उस राष्ट्रीय दूरदर्शिता का परिणाम है, जिसने एक सदी पहले ही भारत की माइनिंग और जियोलॉजी क्षमता निर्माण की आवश्यकता को समझा था। ब्रिटिश शासन के दौरान भी, इंडियन नेशनल कांग्रेस ने भारत की विकास यात्रा के लिए ऐसे संस्थान की सिफारिश की थी, जो देश की “मिट्टी की ताकत” को वैज्ञानिक रूप से समझ सके। यह समझ इस बात को दर्शाती है कि कोई भी राष्ट्र प्राकृतिक संसाधनों की पहचान और उपयोग किए बिना आगे नहीं बढ़ सकता।
हम सपने नहीं बेचते, करके दिखाते हैं
अदानी ने कहा हम सपने नहीं बेचते करके दिखाते हैं। इस मिट्टी में छुपा है भारत का आने वाला उजाला जो धरती को पढ़ ले वही है असली रखवाला है। अंत में उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे बिना डरे सपने देखें, बिना रुके मेहनत करें, नवाचार को अपनाएं और भारत की संप्रभु क्षमताओं को मजबूत करने वाले 'कोर के कस्टोडियन'बनें, ताकि एक आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी भारत के निर्माण में योगदान दे सकें।

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