गिरिडीह में झारखंड के सीएम हेमंत की फजीहत, सहियाओं ने सभास्थल से लेकर सर्किट हाउस तक किया विरोध
सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरिडीह में फजीहत झेलनी पड़ी। मुख्यमंत्री ने जैसे ही कार्यक्रम को संबोधित करना प्रारंभ किया वैसे ही 40 माह का बकाया मानदेय भुगतान की मांग को लेकर जल सहियाओं ने पंडाल के अंदर से ही विरोध जताना शुरू कर दिया।

जागरण संवाददाता, गिरिडीह: आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कुछ विरोध का भी सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री ने जैसे ही कार्यक्रम को संबोधित करना प्रारंभ किया, वैसे ही 40 माह का बकाया मानदेय भुगतान की मांग को लेकर जल सहियाओं ने पंडाल के अंदर से ही विरोध जताना शुरू कर दिया।
पहले तो बैठे-बैठे ही विरोध करना शुरू किया, लेकिन बाद में उग्र हो गईं और अपने स्थान पर खड़ी होकर सीएम के खिलाफ बोलने लगीं। सरकार के खिलाफ नारे भी लगा रही थीं। यहां से जैसे ही सीएम सर्किट हाउस पहुंचे, पीछे-पीछे जल सहियाओं की टोली भी सर्किट हाउस पहुंच गई और मांगों के समर्थन में नारे लगाते हुए सीएम का विरोध करने लगी। सुरक्षा में तैनात अधिकारियों व जवानों ने उन्हें शांत कराते हुए समझाने का प्रयास भी किया लेकिन कोई असर नहीं हुआ। इसी बीच सीएम का काफिला बोड़ो हवाई अड्डा के लिए प्रस्थान कर गया।
सहिया व सहिया साथियों ने भी किया सरकार का विरोध
मांगों को लेकर सहिया व सहिया साथी ने भी कार्यक्रम स्थल पर मुख्यमंत्री का विरोध जताया। ये अपनी मांगों को पूरा करने की मांग दोहरा रही थी। इनका कहना था कि काफी वर्षों से स्वास्थ्य विभाग के साथ उनके निर्देशानुसार काम कर रहे हैं लेकिन अब तक सम्मानजनक मानदेय नहीं दिया जा रहा है। वे 21 हजार रुपये मानदेय व सभी का 20-20 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कराने व दुर्घटना में मृत होने वाले कर्मियों को 20 लाख रुपये का भुगतान तथा अनुकंपा पर नौकरी देने की मांग कर रही थी।
पोषण सखियों ने चुनी दोनों राह, एक जगह विरोध, दूसरी जगह समर्थन
इधर, सेवा से हटाई गईं पोषण सखियां पोषण सखी संघ के बैनर तले मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल झंडा मैदान पहुंची थीं। यहां सेवा से हटाने का विरोध कर रही थीं। इसके बाद अपनी सेवा को पुन: बहाल करने की मांग कर रही थीं। जबकि सर्किट के बाहर सरकार व हेमंत सोरेन के समर्थन में भी नारे लगाने लगीं। एक जगह विरोध तो दूसरी जगह समर्थन के संबंध में पूछने पर बताया कि विरोध कर मांग से अवगत कराया गया, जबकि यहां समर्थन में नारे लगाने से शायद सरकार का मन बदले और पुन: सेवा में रख लिया जाए।

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