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    'लगा जैसे पूरी दुनिया खत्म हो गई', सिजुआ में भूधंसान से दहशत; अवैध कारोबार से प्रभावित परिवारों से मिले विधायक

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 04:59 PM (IST)

    धनबाद के कतरास कोयलांचल में अवैध कोयला खनन का कारोबार बेखौफ जारी है। सिजुआ में भू-धंसान से दहशत है तो बाघमारा में एसडीपीओ कार्यालय के पास अवैध खनन चल रहा है। मोदीडीह में भू-धंसान से कई घर क्षतिग्रस्त हुए। ग्रामीणों ने अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

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    सिजुआ में भूधंसान से दहशत। (फोटो जागरण)

    सुशील कुमार चौरसिया, कतरास (धनबाद)। धनबाद जिले के कतरास कोयलांचल में अवैध कोयला उत्खनन का काला धंधा अब पूरी तरह से बेखौफ हो चुका है।

    सोमवार की सुबह एक ओर जहां सिजुआ क्षेत्र में अवैध उत्खनन के कारण हुए भू-धंसान से लोगों में दहशत है, वहीं दूसरी ओर बाघमारा में अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) के कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।

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    इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर प्रशासन की निष्क्रियता और माफिया के दुस्साहस को उजागर कर दिया है।

    2006 में भी गिरा था घर, फिर वही मंजर देखा 

    जोगता थाना क्षेत्र के मोदीडीह कोलियरी अंतर्गत नया श्यामबाजार की शबरी बस्ती में सोमवार तड़के करीब तीन बजे जोरदार आवाज के साथ भू-धंसान हुआ। यह भू-धंसान अवैध खनन के कारण जमीन के खोखला होने से हुआ।

    इस घटना में दो घरों के साथ-साथ आसपास की जमीन में भी गहरी दरारें पड़ गईं, जिससे अरुण रजक और गोविंद भुइयां का घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। इस हादसे में करीब 10 परिवार प्रभावित हुए हैं।

    भू-धंसान के शिकार हुए अरुण रजक ने कांपते हुए बताया कि जब आवाज आई, तो लगा जैसे पूरी दुनिया खत्म हो गई हो। मैं परिवार के साथ किसी तरह बाहर भागा। मेरा घर तो 2006 में भी गिरा था, और अब फिर वही मंजर आज देखा। हमें कब तक ऐसे डर के साए में जीना पड़ेगा?

    इसी तरह, गोविंद भुइयां ने भी अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा, "हमने अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर यह घर बनाया था, और एक झटके में सब मिट्टी में मिल गया। हमें अब कहीं भी सुरक्षित जगह नहीं मिल रही है।" दबी जुबान में घटना स्थल पर राहुल द्वारा अवैध खनन कराये जाने की बात स्थानीय ग्रामीण कह रहें थे।

    घटना की सूचना मिलने पर बाघमारा विधायक शत्रुघ्न महतो ने मौके का जायजा लिया और मोदीडीह कोलियरी प्रबंधन से प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने को कहा। यह घटना बार-बार यह दर्शाती है कि भूमिगत खनन से आवासीय क्षेत्रों में कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

    कतरास कोयलांचल में प्रशासन की नाक के नीचे अवैध कारोबार 

    एक तरफ जहां सिजुआ के लोग भू-धंसान से सहमे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर बाघमारा अनुमंडल में अवैध खनन का काम बेरोकटोक जारी है। पिछले दिनों बाघमारा के केशरगढ़ स्थित जमुनिया नदी के पास हुए चाल धंसने की दुखद घटना की आग अभी शांत भी नहीं हुई थी कि अवैध कोयला कारोबारी फिर से सक्रिय हो गए हैं।

    अंगारपथरा ओपी क्षेत्र के कांटा पहाड़ी के पास अवैध मुहाना बनाकर खनन धड़ल्ले से जारी है। यह इलाका एसडीपीओ कार्यालय से बहुत करीब है, फिर भी पुलिस इस पर कोई कार्रवाई करती नजर नहीं आ रही है। यहां सैकड़ों मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं।

    जिस क्षेत्र में यह अवैध खनन चल रहा है, वह मां अम्बे आउटसोर्सिंग कंपनी का है। एक ओर जहां कंपनी को कोयले की निकासी के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल रही है, वहीं दूसरी ओर ये अवैध कारोबारी बेधड़क अपना काम कर रहे हैं।

    ऐसा लगता है कि मां अम्बे आउटसोर्सिंग और बीसीसीएल भी इस अवैध गतिविधि पर मूकदर्शक बनी हुई हैं। स्थानीय ग्रामीण बताते है इस अवैध कारोबार का मुख्य सरगना लालटू है, जबकि अनूप, बुचून, भोलू और प्रिंस जैसे नाम भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं।

    एसडीपीओ कार्यालय के पास चल रहे अवैध माईनस व डिपो 

    चौंकाने वाली बात यह है कि एसडीपीओ कार्यालय के ठीक पास में ही, जोगता थाना क्षेत्र के बंद पड़े परियोजना सात नंबर व चालीस नंबर में कई अवैध माईनस और अवैध कोयला डिपो भी संचालित हैं।

    घटनास्थल का जायजा लेने व प्रभावितों से मिलने पहुंचे बाघमारा विधायक शत्रुघ्न महतो।

    भले ही यह क्षेत्र धनबाद डीएसपी के अधीन आता हो, लेकिन एसडीपीओ कार्यालय के इतने करीब इनका संचालन गंभीर सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों के अनुसार इन अवैध माईनस के संचालन में नदीम, एनाउल व प्रकाश का नाम सामने आ रहा है वही डिपो का संचालन पप्पू और सन्नी कर रहे हैं।

    ये लोग खुद को सरकार का नुमाइंदा बताकर बेखौफ और बेरोकटोक कोयले की अवैध तस्करी कर रहे हैं, जिससे सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है।

    ग्रामीणों की जुबानी, जान और माल दोनों खतरे में 

    इस तरह की घटनाएं न केवल सरकार को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि यह पर्यावरण और मानव जीवन के लिए भी गंभीर खतरा हैं। अनियंत्रित खुदाई से भूस्खलन और जमीन धंसने का खतरा बढ़ता है।

    जमुनिया नदी के पास हुए हादसे ने पहले ही कई जिंदगियां छीन ली हैं, फिर भी प्रशासन ने इससे कोई सबक नहीं लिया। स्थानीय पुलिस और प्रशासन पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर उनकी नाक के नीचे इतनी बड़ी अवैध गतिविधि कैसे चल रही है। क्या यह मिलीभगत का नतीजा है?

    स्थानीय ग्रामीण कैलाश का कहना है कि इस पूरे मामले पर त्वरित और सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि अवैध कोयला माफिया के इस दुस्साहस को रोका जा सके और निर्दोष मजदूरों की जान को बचाया जा सके।

    एक अन्य ग्रामीण, दिलीप कुमार ने बताया कि उनका घर इसी अवैध खनन स्थल के पास है और उनके घरों के नीचे से कोयला निकाला जा रहा है, जिससे उनके घरों के जमींदोज होने की संभावना है।

    दिलीप कुमार ने कहा कि प्रशासन को न केवल अवैध मुहानों को बंद करना चाहिए, बल्कि इसमें संलिप्त बड़े चेहरों और पुलिस-प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

    स्थानीय ग्रामीण सविता देवी कहती हैं कि जब तक इस संगठित अपराध पर लगाम नहीं लगाई जाती, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और गरीबों की जान जाती रहेगी।

    नोडल अधिकारी, सीआईएसएफ तथा जोगता थाना की पुलिस ने संयुक्त रूप से मोदीडीह स्थित बंद खदान के समीप अवैध मुहाने की 23 जुलाई को भराई कराई थी। इसके बाद कारोबारियों ने उक्त मुहाने को खोल दिया था। प्रबंधन इस पर कड़ी कार्रवाई करेगी। - दशरथ सिंह, कोलियरी प्रबंधक