Illegal Coal Mining: जमुनिया हादसे के बाद भी नहीं जागा प्रशासन, महुदा-बोकारो सीमा पर फिर मंडराया खतरा
धनबाद में अवैध कोयला खनन फिर से शुरू हो गया है। जमुनिया नदी में हुए हादसे के बाद भी प्रशासन की लापरवाही के कारण तस्कर सक्रिय हो गए हैं। महुदा थाना और भाटडीह ओपी क्षेत्रों में अवैध उत्खनन की तैयारी चल रही है। स्थानीय पुलिस और माइनिंग विभाग की चुप्पी से ग्रामीणों में डर का माहौल है।

सुशील कुमार चौरसिया, कतरास (धनबाद)। झारखंड के धनबाद जिले में अवैध कोयला उत्खनन का काला कारोबार एक बार फिर अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है। जमुनिया नदी के पास हुए दुखद हादसे के बाद भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है, जिसका फायदा उठाते हुए कोयला तस्करों ने फिर से अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं।
सूत्रों के अनुसार कोयला तस्करों ने बड़े पैमाने पर तस्करी के लिए जमीन की तैयारी शुरू कर दी है और एक अंतराल के बाद अवैध मुहानों की सफाई का काम भी फिर से शुरू हो गया है।
महुदा थाना और भाटडीह ओपी क्षेत्रों में खासकर धनबाद-बोकारो की सीमा पर कई जगहों पर अवैध उत्खनन की तैयारी की जा रही है। इन इलाकों में पहले से संचालित मुहानों की सफाई की जा रही है, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यहां से फिर से बड़े पैमाने पर कोयले की निकासी की जाएगी।
यह गतिविधियां ऐसे समय में हो रही हैं जब हाल ही में हुए हादसे में कई मजदूरों के दबे होने की आशंका जताई गई थी, और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) को रेस्क्यू के लिए बुलाया गया था।
स्थानीय पुलिस, जिला माइनिंग विभाग और सीआईएसएफ की चुप्पी इस संगठित अपराध को और भी बढ़ावा दे रही है। यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, जिससे उनकी मिलीभगत या उदासीनता पर गंभीर सवाल उठते हैं।
ग्रामीणों में इस बात को लेकर भी चिंता है कि अवैध खनन से फिर से जान-माल का खतरा बढ़ जाएगा और उनके घरों के नीचे से कोयला निकालने से भूस्खलन का जोखिम पैदा होगा।
यह स्पष्ट है कि जब तक प्रशासन इस अवैध कारोबार पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाता तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और क्षेत्र का सामाजिक व कानूनी माहौल बिगड़ता रहेगा।
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