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    आपकी सेहत के लिए जहर है मछली की यह प्रजाति, खाने में बेहद स्‍वादिष्‍ट, पर कैंसर तक होने का रहता है खतरा

    By Deepak Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 05 Jul 2022 01:30 PM (IST)

    इस प्रतिबंधित मछली का अवैध कारोबार इन दिनों झारखंड व बिहार के कई जिलों में खूब फल-फूल रहा है। बिना किसी भय के पश्चिम बंगाल से कारोबारी मैथन व निरसा के ...और पढ़ें

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    कुछ कारोबारी इस प्रतिबंधित मछली का कारोबार कर प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।

    संवाद सहयोगी, मैथन: प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली का अवैध कारोबार इन दिनों झारखंड व बिहार के कई जिलों में खूब फल-फूल रहा है। बिना किसी भय के पश्चिम बंगाल से कारोबारी मैथन व निरसा के रास्ते धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, बिहार के सासाराम ,बक्सर, रोहतास, कैमूर सहित कई जिलों में ले जाकर बेचने का काम कर रहे हैं।

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    पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान जिले में मांगुर मछली का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाता है। यह मछली कम समय में अधिक मुनाफा देती है। यही वजह है कि कारोबारी इस मछली की तस्करी बड़े पैमाने पर झारखंड व बिहार में कर रहे हैं। प्रतिदिन चार से पांच ट्रक मांगुर मछली का कारोबार किया जा रहा है। इस मछली के खाने से कैंसर व अन्य कई तरह की खतरनाक बीमारियां होती है। इसलिए सरकार ने इस मछली की बिक्री व पालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। इसके बावजूद कुछ कारोबारी प्रशासन की मिलीभगत से बेरोकटोक इस प्रतिबंधित मछली का कारोबार कर प्रतिमाह लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं।

    ढाई सौ से तीन सौ रुपये प्रति किलो बिकती है मांगुर मछली

    थाई मांगुर मछली की कीमत बाजार में ढाई सौ से तीन सौ रुपये किलो है। इसकी मांग भी बाजार में ज्यादा है। यह खाने में बेहत स्वादिष्ट लगती है। इसीलिए अन्य प्रजातियों की मछलियों से बाजार में इसकी कीमत लगभग दोगुनी है। बिहार व झारखंड में इसकी मांग ज्यादा है, यही वजह है कि कारोबारी अधिक लाभ कमाने के चक्कर में इस मछली का बेखौफ होकर धड़ल्ले से कारोबार कर रहे हैं।

    पश्चिम बंगाल से झारखंड में प्रवेश करते ही एजेंट हो जाते हैं सक्रिय

    बंगाल से मांगुर मछली की खेप लेकर कारोबारी जैसे ही मैथन के समीप डिब्रूडीह चेकपोस्ट के पास पहुंचते हैं, झारखंड के एजेंट सतर्क हो जाते हैं। इस मछली के कारोबार को झारखंड का बिल्टी थमा दिया जाता है, जो जय माता दी ट्रांसपोर्ट, मैथन रोडवेज आदि नाम के होते हैं। इस बिल्टी (पर्ची) को देकर प्रतिबंधित मांगुर मछली को झारखंड में प्रवेश कराया जाता है। कारोबारी पिकअप वैन या बड़ी गाड़ियों से इस मछली का कारोबार करते हैं। मछली लदे इन वाहनों के झारखंड में प्रवेश कराने के एवज में स्थानीय एजेंटों को मोटी रकम मिलती है।

    निरसा व मैथन में पकड़ा चुके हैं मांगुर मछली लदे वाहन

    मैथन के लोगों ने सक्रियता दिखाते हुए पिछले दिनों दो बार मांगुर मछली लदे वाहनों को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था। इसके अलावा निरसा थाना की पुलिस भी पिछले दिनों एक ट्रक मांगुर मछली पकड़ चुकी है। पुलिस ने इन मछलियों को मिट्टी में दफना दिया था। इसके बावजूद इस कारोबार पर रोक नहीं लग पा रहा है।

    मैथन के थाना प्रभारी बालाजी राजहंस इस संबंध में बताते हैं कि अपने स्तर से प्रतिबंधित मांगुर मछली के हो रहे अवैध कारोबार पर नजर रख रहा हूं। मछली लदे वाहनों की जांच भी कर रहा हूं। किसी भी हाल में इसका कारोबार नहीं चलने दिया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि इस पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को भी पत्र लिखेंगे। वहां से जो निर्देश मिलेगा, उसपर अमल किया जाएगा।