क्रिटिकल मिनरल्स और टेक्नोलाजी में नेतृत्व करे IIT(ISM)... शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने किया आह्वान
IIT (ISM) Centenary Celebration: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने IIT(ISM) के शताब्दी समारोह में संस्थान से क्रिटिकल मिनरल्स और टेक्नोलाजी म ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, धनबाद। Indian Institute of Technology (Indian School of Mines) आइआइटी (आइएसएम) धनबाद ने बुधवार को अपने शताब्दी स्थापना सप्ताह की शुरुआत एक ऐसे भव्य समारोह के साथ की, जिसमें परंपरा, तकनीक और राष्ट्रीय उद्देश्य का अनूठा संगम देखने को मिला। यह आयोजन संस्थान के सौ साल के गौरवशाली सफर के सबसे ऐतिहासिक पलों में से एक बना।

उद्घाटन सत्र का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार, शंखनाद और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसने पूरे समारोह को गरिमामय और भावनात्मक वातावरण प्रदान किया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र का संचालन डीन (कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस) प्रो. रजनी सिंह ने किया।
निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा का संबोधन
आइआइटी (आइएसएम) के निदेशक प्रो. सुकुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण में कहा कि शताब्दी वर्ष केवल उत्सव नहीं, बल्कि संस्थान के मिशन और मूल्यों की पुनर्पुष्टि है। उन्होंने 1926 में रायल स्कूल आफ माइन्स, लंदन के माडल पर हुई स्थापना से लेकर बहुविषयक आइआइटी के रूप में उभरने तक संस्थान की यात्रा को “मजबूती, उत्कृष्ट कार्य और देश सेवा” का प्रतीक बताया।
उन्होंने माइनिंग 4.0, क्लीन एनर्जी, डिजिटल इंजीनियरिंग, सस्टेनेबिलिटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में संस्थान के बढ़ते योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भविष्य में संस्थान की भूमिका और प्रभाव और अधिक व्यापक होगा।
विशिष्ट अतिथियों के विचार
एमएनआइटी जयपुर के निदेशक प्रो. एन. पी. पाधी, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
उन्होंने IIT (ISM) में हुए बदलाव को “असाधारण” बताते हुए कहा कि भारत में बहुत कम संस्थान इतनी गहरी विरासत और प्रभाव को दर्शा पाते हैं। उन्होंने संस्थान को तकनीकी शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्रेरणास्रोत बताते हुए, इसके अनुसंधान और नवाचार संस्कृति की प्रशंसा की।
ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिश्नर एंड्रयू अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय आयाम दिया।
उन्होंने यूके-आधारित जियोटेक के साथ टेक्स्मीन सहयोग के तहत डिजिटाइजेशन लैब की शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी यूके-इंडिया विज़न 2035 को दर्शाती है और क्रिटिकल मिनरल्स, एडवांस्ड माइनिंग टेक्नोलॉजी तथा सस्टेनेबल सप्लाई चेन में साझा लक्ष्यों को मजबूत करेगी।
मुख्य अतिथि डा पीके मिश्रा का संबोधन
IIT (ISM) Centenary Celebration में सुबह से सबसे अधिक इंतज़ार प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डा. पीके मिश्रा के भाषण का था, जिसमें राष्ट्रीय विज़न और संस्थान की उपलब्धियों की सराहना का सुंदर मेल देखने को मिला।
उन्होंने कहा कि आइआइटी (आइएसएम) एक नेशनल एसेट है, जिसने एक सदी से माइनिंग, टेक्नोलॉजी और ह्यूमन कैपिटल के क्षेत्र में भारत की क्षमता को मजबूत किया है। उन्होंने वैज्ञानिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की।
डा. मिश्रा ने भारत के मजबूत आर्थिक आधार, तकनीक-आधारित शासन व्यवस्था और स्पेस, ग्रीन एनर्जी, क्वांटम टेक्नोलॉजी तथा डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में हुई अग्रणी उपलब्धियों पर भी जोर दिया।
उन्होंने आइआइटी (आइएसएम) की अगली सदी को विकसित भारत 2047 के रोडमैप से जोड़ते हुए, क्रिटिकल मिनरल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सस्टेनेबिलिटी और पब्लिक-पर्पस टेक्नोलॉजी में शोध को और तेज़ी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता बताई।
उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, समावेशिता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार नवाचार पर भी विशेष बल दिया।
डा मिश्रा ने कहा कि वे संस्थान के इनोवेशन इकोसिस्टम से अत्यंत प्रभावित हैं और उन्हें विश्वास है कि आइआइटी (आइएसएम) की फैकल्टी, छात्र और एल्युमनाई देश के तकनीकी भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।
उद्घाटन व निरीक्षण कार्यक्रम
भाषण के बाद मुख्य अतिथि और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने कई नई सुविधाओं का उद्घाटन किया, जिनमें शामिल हैं- वर्चुअल रियलिटी माइन सिम्युलेटर लैब, सिंबॉलिक सेंटेनरी प्लांटेशन ड्राइव, टेक्स्मीन–जियोटेक ड्रिल कोर डिजिटाइजेशन लैबोरेटरी, प्राइवेट 5G आधारित डिजिटल माइनिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लैब, अंडरग्राउंड माइनिंग सिमुलेशन गैलरी।
एक महत्वपूर्ण क्षण रहा ज्ञान-विज्ञान प्रांगण का उद्घाटन, जो एआई-आधारित इंडस्ट्रियल सिस्टम, डिजिटल ट्विन्स, रोबोटिक्स, क्लीन एनर्जी, माइनिंग मेटावर्स एप्लीकेशन और भारतीय ज्ञान प्रणालियों का अनूठा प्रदर्शन क्षेत्र है।
उद्घाटन सत्र का समापन: कार्यक्रम का समापन डिप्टी डायरेक्टर प्रो. धीरज कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों, फैकल्टी, कर्मचारियों, छात्रों और पूर्व छात्रों के उत्साहपूर्ण सहयोग के लिए आभार जताया। उद्घाटन सत्र राष्ट्रगान के साथ संपन्न हुआ।
शताब्दी सप्ताह में विभिन्न अकादमिक सम्मेलन, प्रदर्शनियां, एल्युमनाई संवाद, छात्र गतिविधियां और सांस्कृतिक संध्याएं आयोजित की जा रही हैं। आइआइटी (आइएसएम) ने इस अवसर पर यह संदेश दिया कि वह न केवल अपने गौरवशाली इतिहास का उत्सव मना रहा है, बल्कि विकसित भारत 2047 के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार एक अग्रणी संस्था के रूप में भविष्य को आकार भी दे रहा है।

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