IIT(ISM) Dhanbad के शताब्दी उत्सव का आज भव्य आगाज, ड्रोन शो होगा मुख्य आकर्षण, पीएम के प्रधान सचिव बनेंगे गवाह
Dhanbad News: आज IIT(ISM) धनबाद में शताब्दी उत्सव का भव्य आयोजन होगा। 400 ड्रोन 1926 से 2025 तक की यात्रा दिखाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के प्रधान सचिव प ...और पढ़ें
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ) धनबाद।
जागरण संवाददाता, धनबाद। 100 वर्षों के गौरवशाली इतिहास को समेटे आइआइटी आइएसएम धनबाद बुधवार से अपना साप्ताहिक शताब्दी समारोह मनाने जा रहा है। सात दिनों तक विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से आइएसएम की गौरवगाथा प्रदर्शित की जाएगी।
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डा.प्रमोद कुमार मिश्रा सुबह दस बजे पेनमेन आडिटोरियम में समारोह का उद्घाटन करेंगे। शताब्दी वर्ष के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए अनेक नवीन तकनीकी प्रदर्शन और विमर्श आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रम में शताब्दी विशेष घोषणाएं, पुरस्कार वितरण और ड्रोन शो संस्थान की नई सदी की शुरुआत का प्रतीक बनेगा। आइआइटी में पहली बार 400 ड्रोनों का भव्य ड्रोन शो प्रस्तुत होगा। इसमें 1926 से 2025 तक संस्थान की यात्रा को रोशनी और आकृतियों के माध्यम से दर्शाया जाएगा।
डा.पीके मिश्रा मंगलवार शाम धनबाद पहुंच गए। उपायुक्त आदित्य रंजन एवं एसएसपी प्रभात कुमार ने दुर्गापुर एयरपोर्ट पर प्रधान सचिव एवं राज्य के विशिष्ट अतिथि डा.प्रमोद कुमार मिश्रा का पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया।
एयरपोर्ट परिसर में बीसीसीएल सीएमडी मनोज अग्रवाल, आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो.सुकुमार मिश्रा एवं उपनिदेशक प्रो.धीरज कुमार भी उपस्थित थे।
उद्घाटन वैदिक मंत्रोच्चार से होगा। इसके बाद विकसित भारत एट 2047 विषय पर अमृतकाल विमर्श आयोजित किया जाएगा। सप्ताह भर चलने वाले आयोजन में महत्वपूर्ण खनिज संसाधन, सतत ऊर्जा, माइनिंग 4.0, एआइ, भारतीय ज्ञान परंपरा, फ्रंटियर जियोसाइंसेस एवं पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर राष्ट्रीय स्तर के सत्र होंगे।
समारोह का प्रमुख आकर्षण ज्ञान-विज्ञान प्रांगण होगा। यहां थ्रीडी मेटावर्स माइनिंग, एआइ आधारित डिजिटल ट्विन सिस्टम, आधुनिक सिस्मोलाजी लैब, रोबोटिक्स माडल और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का लाइव प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा विद्यार्थियों के लिए रोबोटिक्स गतिविधियां, नवाचार प्रतियोगिताएं और विज्ञान-प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी।
शताब्दी सप्ताह के अंतर्गत आयोजित होने वाले एलुमनी कान्क्लेव में देश-विदेश से आए पूर्व छात्र, पूर्व निदेशक और विभिन्न उद्योगों के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ संस्थान के विकास और भविष्य की दिशा पर चर्चा करेंगे।
1926 में ब्रिटिश शासन के दौरान रायल स्कूल आफ माइंस, लंदन के माडल पर स्थापित इंडियन स्कूल आफ माइंस एंड एप्लाइड जियोलाजी ने पिछले सौ वर्षों में खनन शिक्षा से आगे बढ़ते हुए इंजीनियरिंग, भू-विज्ञान, ऊर्जा, एआई, रोबोटिक्स, पर्यावरण विज्ञान और नवप्रवर्तन के क्षेत्र में देश को नई दिशा दी है।
लार्ड इरविन और संस्थापक प्रिंसिपल डेविड पेनमैन की दूरदृष्टि से प्रारंभ हुए इस संस्थान को 2016 में आइआइटी का दर्जा मिला। इसके बाद यह वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर और सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहा है।

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