अगर गंवा चुके हैं अपने पांव तो निशुल्क कृत्रिम पैर लगा रही यह संस्था, हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए
रोटरी जेरी पावेल जयपुर लिंब सेंटर के अंतर्गत निश्शुल्क कृत्रिम पैर शिविर का आयोजन दो से चार सितंबर तक किया जाएगा। रोटरी क्लब ऑफ धनबाद की ओर से दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित विशेष विद्यालय जीवन ज्योति में सुबह 10 से दोपहर तीन बजे तक इसका आयोजन होगा।

जागरण संवाददाता, धनबाद: रोटरी जेरी पावेल जयपुर लिंब सेंटर के अंतर्गत निश्शुल्क कृत्रिम पैर शिविर का आयोजन दो से चार सितंबर तक किया जाएगा। रोटरी क्लब ऑफ धनबाद की ओर से दिव्यांग बच्चों के लिए संचालित विशेष विद्यालय जीवन ज्योति में सुबह 10 से दोपहर तीन बजे तक इसका आयोजन होगा। इस प्रोजेक्ट का नाम उम्मीद की किरण 2022 दिया गया है।
यह रोटरी क्लब ऑफ धनबाद और रोटरी क्लब ऑफ धनबाद साउथ की संयुक्त परियोजना है। निश्शुल्क लिंब प्राप्त करने के लिए रोटरी की ओर से हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए गए हैं। जरूरतमंद सीधे जीवन ज्योति स्कूल बेकारबांध में भी पंजीयन करा सकते हैं। इसके साथ ही विकास शर्मा के मोबाइल 8092200004, राजीव गोयल 9431123594, सुपिंदर सिंह 9431123333 और संजय सरावगी के मोबाइल नंबर 7004648853 पर कॉल कर निश्शुल्क लिंब लगवाने के लिए संपर्क किया जा सकता है। रोटरी की ओर से छह पंजीकरण केंद्र भी बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर भी पंजीयन कराया जा सकेगा। संस्था की ओर से बताया गया कि कृत्रिम पैर और कैलिपर्स बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को लगाए जाते हैं। ये लचीले और मजबूत होते हैं। रोजमर्रा के कामकाज में सहायक हैं। कृत्रिम पैर की मजबूती इनके वजन के आधार पर तय होती है।
निश्शुल्क लिंब के लिए यहां भी करा सकेंगे पंजीकरण
- कंप्यूटर एवेन्यू जोड़ाफाटक
- बेटर विजन हीरापुर पांडे मोहल्ला
- विजोप्ट आप्टिकल्स एंड वाचेज
- पापुलर नर्सिंग होम जोड़ाफाटक रोड
- जीवन ज्योति स्कूल बेकारबांध
- चंद्रकांत पेट्रोल पंप कतरास मोड़ झरिया
दो तरह के होते हैं कृत्रिम पैर
रोटरी क्लब के रविप्रीत सिंह सलूजा और संजीव बियोत्रा बताते हैं कि कृत्रिम पैर दो तरह के होते हैं। पहले को प्रोस्थेसिस और दूसरे को आर्थोसिस कहते हैं। संजीव ने बताया कि प्रोस्थेसिस (कृत्रिम अंग) को आम भाषा में जयपुर फुट कहते हैं। यह उन लोगों को लगाया जाता है जिनके अंग किसी दुर्घटना, चोट, जन्मजात या किसी बीमारी के कारण काटना पड़ा हो। वहीं आर्थोसिस को कैलिपर भी कहते हैं। यह कृत्रिम पैर नहीं, बल्कि कमजोर पैरों को सपोर्ट करता है। इसे पोलियो पीड़ित, फ्रैक्चर, गंभीर बीमारियों में कमजोर हुई पैरों की हड्डियों व लकवे से पीड़ित को लगाया जाता है। जिनके पैरों की उंगुलियों व आकार में विकृति हो, उन्हें सपोर्टर पहनाया जाता है। इसी तरह पोलियो कैलिपर उन्हें पहनाया जाता है, जिनके अंग होते हैं लेकिन अंगों को प्रयोग करने की ताकत नहीं होती है। यह मजबूती देता है।
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