SNMMCH Dhanbad: रिश्तेदारों ने ठुकराया, अस्पताल कर्मी ने निभाया रिश्ता; 10 दिन बाद अंतिम संस्कार
Dhanbad News: एसएनएमएमसीएच में एक अज्ञात शव दस दिनों तक मुर्दाघर में रहा क्योंकि रिश्तेदारों ने उसे लेने से इनकार कर दिया। अंत में, अस्पताल के एक कर्मचारी ने आगे बढ़कर मानवता का परिचय देते हुए शव का अंतिम संस्कार किया। अस्पताल प्रशासन ने भी इस कार्य में कर्मचारी का पूरा सहयोग किया।

शहीद निर्मल महतो मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल, धनबाद।
जागरण संवाददाता, धनबाद। एक बुज़ुर्ग की मौत के बाद रिश्तेदारों का दिल इतना ठंडा पड़ा कि दस दिनों तक शव SNMMCH Dhanbad की मोर्चरी में ही इंतजार करता रहा। न कोई आंसू, न कोई कंधा… ऐसे में एक सामान्य अस्पताल कर्मी ने इंसानियत का हाथ बढ़ाया और उस अनजान बुज़ुर्ग की चिता को आग दी।
दरअसल, धनबाद के तिरसा एमओसीपी ब्लाक-16 निवासी 70 वर्षीय हेमराज निषाद का इलाज के दाैरान एसएनएमएमसीएच में माैत हो गई। दस दिनों बाद उसका शव शनिवार को अंतिम संस्कार के लिए उठा।
हेमराज की पत्नी का पहले ही निधन हो चुका था और दोनों की कोई संतान नहीं थी। घर पर केवल रिश्तेदारों का आना-जाना था, लेकिन मौत के बाद उन्हीं रिश्तेदारों ने शव लेने से इनकार कर दिया।
कुछ दिन पहले हेमराज का पैर बुरी तरह जल गया था। घर में देखभाल करने वाला कोई नहीं था। पास में रहने वाले एसएनएमएमसीएच के आउटसोर्सिंग कर्मी प्रदीप कुमार साव ने स्वयं उनके घर जाकर मरहम-पट्टी की और 12 नवंबर को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले आए। दूसरे दिन इलाज के दौरान हेमराज की मौत हो गई।
अस्पताल प्रशासन की ओर से रिश्तेदारों से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने शव लेने से साफ मना कर दिया। बताया जाता है कि हेमराज ने अपने घर और पीडीएस की चाबी अस्पताल कर्मी प्रदीप को सौंप दी थी, जिससे रिश्तेदार नाराज थे और अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी नहीं लेना चाहते थे।
लगातार दस दिन तक शव मोर्चरी में ही पड़ा रहा। शनिवार को काफी मशक्कत के बाद तिसरा और सरायढेला पुलिस की मौजूदगी में शव उठाया गया। अन्ततः हेमराज के अंतिम संस्कार का खर्च भी अस्पताल कर्मी प्रदीप कुमार साव ने खुद उठाया और मानवता पेश करते हुए अंतिम संस्कार कराया।

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