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    Holi 2022: आदिम जनजाति बिरहोर में अनूठी परंपरा, होली पर जंगलों में करते शिकार

    By MritunjayEdited By:
    Updated: Fri, 18 Mar 2022 12:51 PM (IST)

    Holi Tradition होली पर आदिम जनजातियों में शिकार की अनूठी परंपरा है। होली से एक दिन पहले शिकार खेलने जंगलों में निकल जाते हैं। धनबाद के चलकरी में आदिम जनजाति बिरहोर रहते हैं। ये सभी जंगलों में शिकार खेल रहे हैं।

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    होली पर आदिम जनजाति में शिकार की परंपरा ( प्रतीकात्मक फोटो)।

    जागरण संवाददाता, तोपचांची। पूरे देश में होली की धूम है। संयोग से इस बार दो दिन होली मन रही है। देश के कुछ हिस्सों में आज शुक्रवार ( 18 मार्च) को होली मनाई जा रही है। अगले दिन यानी 19 मार्च को धनबाद समेत झारखंड-बिहार में होली मनाई जाएगी। होली हिंदू धर्मावलंबियों का एक प्रमुख त्योहार है। यह रंग-गुलाल खेलने का त्योहार है। इस त्योहार की खासियत यह है कि जितने रंग होते हैं उससे ज्यादा इस त्योहार की अलग-अलग और अनूठी परंपरा है। अब आदिम जनजाति बिरहोर को ही लीजिए। वह होली पर जंगलों में शिकार करते हैं। होली से एक-दो दिन पहले से ही शिकार करने जंगलों की ओर निकल पड़ते हैं।

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    धनबाद के तोपचांची के चलकरी में बिरहोर

    धनबाद में तोपचांची के चलकरी गांव में बिरहोर समुदाय के 52 परिवार के करीब 400 लोग निवास करते है। इस समुदाय के लोग होली के एक दिन पहले जंगल में घूम-घूम कर शिकार करते हैं। हालांकि समय के साथ इस परंपरा में कुछ बदलाव भी आए हैं। सभी बिरहोर शिकार करने जंगल में नहीं निकलते हैं।  इक्का-दुक्का लोग अपने प्राचीन परंपरा का निर्वाह कर रहे है। अपनी परम्परा के अनुसार होली पर बिरहोर जंगल मे शिकार करने जाते है और शाम को एक साथ बैठ कर भोजन करते है और पाराम्परिक नृत्य करते हैं।

    प्राचीन काल से चली आ रही यह परंपरा

    होली के एक दिन पहले आदिम जनजाति में शिकार (जंगल में घूमकर बंदर, खरगोश, सूकर, सियार व भेड़िया का शिकार) करने की परंपरा है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। समय के साथ सब कुछ बदल रहा है। लेकिन, झारखंडकी आदिम जनजातियों ने इस परंपरा को आज भी संजो रखा है। आदिम जनजाति के लोग दिन भर जंगल में शिकार करते है। शाम को थकावट दूर करने के लिए नाचते हैं, गाते हैं। खाते हैं, पीते है। बिरहोर व कोरवा जातियां देश से खत्म हो रही है, लेकिन गुमला में इनकी अच्छी-खासी संख्या है। ये लोग आज भी जंगलों में और पहाड़ोंपर रहते हैं। 

    शिकार पर वन विभाग को आपत्ति

    समुदाय के लोगो ने बताया कि बेरोजगारी और गरीबी के कारण समाज कमजोर होता जा रहा है जिस कारण समाज के लोग अपनी परम्परा को से दूर हो रहे है। जंगल मे जाने पर फारेस्ट विभाग के लोगो के द्वारा परेशान किया जाता है। समाज के लोगो ने बताया कि सरकार के द्वारा गांव में बहुत से कार्य हुए लेकिन आज तक रोजगार को लेकर सरकार के द्वारा कोई पहल नही किया गया है जिसके कारण बिरहोरों की स्थिति खराब होती जा रही है।

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