जानें-इस साल 2022 में कब होली, क्यों दहन किया जाता होलिका ?
Holi 2022 होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मानाया जाता है। झारखंड के देवघर में भक्त बाबा बैद्यनाथ के साथ होली खेलते हैं। इसी तरह बासुकीनाथ में भी होली पर विशेष आयोजन होता है।

जागरण संवाददाता, धनबाद। Holi 2022 यूं तो बसंत पंचमी ( सरस्वती पूजा) के बाद ही माहाैल में होली का असर दिखने लगता है। होली होलिका दहन के अगले दिन अपने चरम पर होती है। होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के अगले दिन मानाया जाता है। दरअसल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन मानाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। झारखंड के देवघर और बासुकीनाथ में होली का रंग कुछ अलग ही होता है।
इस साल कब है होली
इस साल होली आने में एक महीने से भी कम समय बच गया है। होलिका दहन (Holika Dahan 2022) इस बार 17 मार्च को मनाया जाएगा और होली 18 मार्च को मनाई जाएगी। होली से 8 दिन पहले यानि 10 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा। होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
होलिका का शुभ मुहूर्त
इस साल 17 मार्च, गुरुवार के दिन होलिका दहन किया जाएगा। पंचांग के अनुसार होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। होलिका दहन के लिए कुल 1 घंटा 10 मिनट का समय मिलेगा। इसके अलगे दिन होली (Holi 2022 Date and Shubh Muhurat) मनाई जाएगी।
होलिका दहन की पूजा-विधि
शास्त्रों में होलिका दहन से पहले पूजा का विधान बताया गया है। इसके लिए शौच आदि से निवृत होकर स्नान करे लें। इसके बाद होलिका पूजा वाले स्थान पर पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। फिर पूजन में गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं बनाएं। पूजन सामग्री के लिए फूलों की माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच या सात प्रकार के अनाज, नई गेहूं और अन्य फसलों की बालियां और साथ में एक लोटा जल इत्यादि की व्यवस्था कर लें। इसके बाद इन पूजन सामग्रियों से होलिका दहन की पूजा करें। फिर बड़ी-फूलौरी, मीठे पकवान, मिठाईयां, फल आदि भी अर्पित करें. साथ ही भगवान नरसिंह की भी पूजा करें। होलिका के चारों ओर सात परिक्रमा करें।
बाबा बैद्यनाथ की होली का खास महत्व
होली का त्योहार यूं तो पूरे देश में मनाया जाता है। देश के अलग-अलग जगहों पर इसके विविध रंग भी देखने को मिलते हैं। देवघर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ धाम की होली काफी अनूठी और अलग होती है। इस दिन यहां भगवान श्रीविष्णु (हरि) स्वयं आकर भगवान शिव (हर) के साथ होली खेलते हैं। इसे यहां हरि-हर मिलन के नाम से जाना जाता है। इसे लेकर अभी से बाबा नगरी देवघर में उत्साह चरम पर है।
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